देहरादून। प्रदेश की राजधानी देहरादून के मसूरी में कारगिल विजय दिवस के मौके पर आईटीवीपी अकादमी के जवानों ने रैली निकाली। अकादमी के निदेशक पीएस पापटा ने रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कारगिल शहीदों याद में जवानों ने गांधी चैक से लेकर मालरोड तक रैली निकाली। .20 साल पहले आज ही के दिन 26 जुलाई 1999 में हमारे वीर जवानों ने कारगिल की चोटी पर पाकिस्तान को परास्त कर तिरंगा लहराया था। 1999 में दुश्मन देश को धूल चटाकर अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर शहीदों की याद में देश विजय दिवस माना रहा है। इस संबध में भेल की हरिद्वार इकाई में कार्यरत देहरादून निवासी संजीव शर्मा को कारगिल युद्ध के दौरान लेह के एयरपोर्ट पर बिताए वे दिन आज भी फिल्म की तरह याद हैं। पूरा दृश्य उनकी आंखों के सामने आज भी घूमता रहता है।
संजीव शर्मा ने बताया कि वर्ष 1999 में जब घुसपैठियों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था। तब सैन्य मुख्यालय से सभी यूनिटों में इमरजेंसी कॉल आई। तब वह देहरादून में डील में तैनात थे। ऑर्डर आते ही पूरी टीम लेह पहुंच गई। जहां से सैनिकों को लेकर हवाई जहाज युद्ध स्थल तक पहुंच रहे थे और शहीदों व घायलों को लेकर आने का सिलसिला भी लगातार जारी था।कई दिन तक यह लड़ाई चलती रही। संजीव शर्मा का कहना है कि भारतीय सेना ने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस जंग को जीता। उनका कहना है कि यही बात साबित करती है कि भारतीय सेना को पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ क्यों माना जाता है। संजीव शर्मा मोर्चे पर तो युद्ध का हिस्सा नहीं बने, लेकिन जहां उनकी ड्यूटी थी वहां उन्होंने सैनिकों का पूरा सहयोग किया।
वह बताते हैं कि वह ऐसा दौर था जब उनकी टीम के सदस्य कई कई दिन खाना नहीं खाया और शेव भी नहीं की। उनका कहना है कि उन्हें भारतीय सेना का हिस्सा बनने पर गर्व है। कारगिल युद्ध का हिस्सा बनना उनके लिए गौरव का क्षण रहेगा। वर्ष 2006 में सेवानिवृत्त होने पर देहरादून लौटे संजीव शर्मा ने भेल में नौकरी ज्वाइन कर ली और तब से वे यहां सेवारत हैं।