एक छोटी सी कोशिश के साथ शुरू हुआ हमारा यह ‘जोखिम‘ के साथ सफर भय, भूख व भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के नारे के साथ कब एक कांरवा में बदल गया और दस साल कैसे बीते, अंदाज ही नही आया। प्रबुद्ध पाठक वर्ग के प्रेम,उत्साह व सहयोग के चलते हम न सिर्फ उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश से भी प्रकाशित हो रहे है बल्कि हिन्दी के अलावा अंग्रेजी व उर्दू भाषाओं पर भी हमारा समान अधिकार है। वर्ष 2017 के प्रथम दिवस की इस पूर्व संध्या पर ‘जोखिम‘ को समाचार पत्र के अलावा वेब पोर्टल के रूप में भी अपने प्रबुद्ध पाठकों के सम्मुख रखते हुऐ में स्वयं को गौरवान्ति महसूस कर रहा हूँ और मुझे यह अहसास हो रहा है कि समाचारों की इस चकाचैंध भरी दुनिया में इन पिछले दस वर्षों के दौरान मैनें भी बहुत कुछ हासिल किया है। हांलाकि सरकार द्वारा दिन-ब-दिन कठोर किये जा रहे नियम और कायदे-कानूनों के बीच समाचारों की दुनिया के बड़े मगरमच्छों से खुद को बचाते हुऐ हम कितने दिन आपके सम्मुख उपस्थिति दर्ज करा पायेंगे, यह हम भी नहीं जानते लेकिन हमारी कोशिश रहेगी कि समाचार अथवा विचार के रूप में जो कुछ भी आप तक पहुँचे उसकी अपनी गरिमा व मायनें हो।
यह ठीक है कि देहरादून से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक पत्रिका जोखिम के अलावा दैनिक हिन्दी समाचार पत्र के रूप में देहरादून, हल्द्वानी(नैनीताल), गाजियाॅबाद व नोयडा से प्रकाशित व मुद्रित हो आपके सम्मुख पहुँचने के बाद इतनी गुजांइश नही रह जाती कि समाचारों अथवा वैचारिक द्वन्द के रूप आपके सम्मुख कुछ नया प्रस्तुत किया जाय लेकिन पाठकों की संख्या बढ़ाने की चाहत और आपके असीम प्रेम ने मुझे मजबूर किया कि हिन्दी में प्रकाशन के उपरांत मैं आपके सम्मुख हिन्दी से इतर भाषाओं में भी उपस्थित हो सकूँ। इसीलिऐं देहरादून से हिन्दी के साथ ही साथ ‘जोखिम- पत्रिका का अंग्रेजी व उर्दू में प्रकाशन, पाक्षिक पत्रिका के रूप में शुरू किया गया तथा इसी क्रम में हल्द्वानी (नैनीताल) से उर्दू दैनिक का प्रारम्भ भी किया गया और अब एक पोर्टल के रूप में हमारी कोशिश है कि हम खबरों के पीछे छुपा सच व इनका वैचारिक और व्यवहारिक विश्लेषण आप तक पहुँचाने की कोशिश करें।
समाचारो की एक अलग दुनिया है तथा इस दुनिया में रमें लोगों की अपनी-अपनी प्राथमिकताऐं व अपने-अपने सिद्धान्त है लेकिन अन्तिम उद्देश्य सबका एक ही है और यह भी देखा गया है कि इस उद्देश्य से डिगकर पीत-पत्रकारिता की ओर कदम बढ़ाने वाले दिग्गजों, व्यवसायियों या चाटुकारों को जनता ने कभी माफ नहीं किया है। इसलिऐं इन शब्दों के माध्यम से हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारें विचारों से सहमति या असहमति की स्थिति में हमें अर्थात् ‘जोखिम‘ को लेकर अपनी कोई निजी राय कायम करने से पहले आप संदेश, दूरभाष अथवा पत्र आदि के माध्यम से मुझे अपने विचारों से अवगत् अवश्य कराये तथा हमारें द्वारा प्रकाशित की जा रही पत्रिका, दैनिक समाचार पत्र अथवा वेबपोर्टल में किसी भी प्रकार के गुणात्मक सुधार हेतु दिये गये सुझावों हेतु अपना श्रजनात्मक योगदान दें।
किन्तु इसी क्रम में यह विनम्र निवेदन भी किया जाना आवश्यक है कि अपने इन बहुमूल्य सुझावों के माध्यम से अपना राजनैतिक ज्ञान अथवा प्रतिबद्धताऐं हम पर थोंपने की कोशिश न करें क्योंकि एक सम्पादक के रूप में किसी भी विषय, वस्तु अथवा समाचार को लेकर अपनी बेबाक राय बनाते वक्त मेरी मजबूरी है कि मैं उन तमाम गरीब, मजदूर व मजलूूम लोगों की तरह सोचू जो एक साधन सम्पन्न देश में रहने के बावजूद भी गरीबी और मुफलिसी में अपना जीवन बिता रहे है। मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप सभी पूर्व की भांति मेरी गलतियों को नजरअंदाज करते हुऐ मेरी इस नयी कोशिश को हाथों-हाथ लेंगे तथा जोखिम द्वारा प्रकाशित विभिन्न संस्करणों की ही तर्ज पर जोखिम की यह वेबसाइट आप सभी संभ्रान्त पाठकों व मेरे हितेषियों के बीच लोकप्रियता को प्राप्त होगी।
यह ठीक है कि देहरादून से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक पत्रिका जोखिम के अलावा दैनिक हिन्दी समाचार पत्र के रूप में देहरादून, हल्द्वानी(नैनीताल), गाजियाॅबाद व नोयडा से प्रकाशित व मुद्रित हो आपके सम्मुख पहुँचने के बाद इतनी गुजांइश नही रह जाती कि समाचारों अथवा वैचारिक द्वन्द के रूप आपके सम्मुख कुछ नया प्रस्तुत किया जाय लेकिन पाठकों की संख्या बढ़ाने की चाहत और आपके असीम प्रेम ने मुझे मजबूर किया कि हिन्दी में प्रकाशन के उपरांत मैं आपके सम्मुख हिन्दी से इतर भाषाओं में भी उपस्थित हो सकूँ। इसीलिऐं देहरादून से हिन्दी के साथ ही साथ ‘जोखिम- पत्रिका का अंग्रेजी व उर्दू में प्रकाशन, पाक्षिक पत्रिका के रूप में शुरू किया गया तथा इसी क्रम में हल्द्वानी (नैनीताल) से उर्दू दैनिक का प्रारम्भ भी किया गया और अब एक पोर्टल के रूप में हमारी कोशिश है कि हम खबरों के पीछे छुपा सच व इनका वैचारिक और व्यवहारिक विश्लेषण आप तक पहुँचाने की कोशिश करें।
समाचारो की एक अलग दुनिया है तथा इस दुनिया में रमें लोगों की अपनी-अपनी प्राथमिकताऐं व अपने-अपने सिद्धान्त है लेकिन अन्तिम उद्देश्य सबका एक ही है और यह भी देखा गया है कि इस उद्देश्य से डिगकर पीत-पत्रकारिता की ओर कदम बढ़ाने वाले दिग्गजों, व्यवसायियों या चाटुकारों को जनता ने कभी माफ नहीं किया है। इसलिऐं इन शब्दों के माध्यम से हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारें विचारों से सहमति या असहमति की स्थिति में हमें अर्थात् ‘जोखिम‘ को लेकर अपनी कोई निजी राय कायम करने से पहले आप संदेश, दूरभाष अथवा पत्र आदि के माध्यम से मुझे अपने विचारों से अवगत् अवश्य कराये तथा हमारें द्वारा प्रकाशित की जा रही पत्रिका, दैनिक समाचार पत्र अथवा वेबपोर्टल में किसी भी प्रकार के गुणात्मक सुधार हेतु दिये गये सुझावों हेतु अपना श्रजनात्मक योगदान दें।
किन्तु इसी क्रम में यह विनम्र निवेदन भी किया जाना आवश्यक है कि अपने इन बहुमूल्य सुझावों के माध्यम से अपना राजनैतिक ज्ञान अथवा प्रतिबद्धताऐं हम पर थोंपने की कोशिश न करें क्योंकि एक सम्पादक के रूप में किसी भी विषय, वस्तु अथवा समाचार को लेकर अपनी बेबाक राय बनाते वक्त मेरी मजबूरी है कि मैं उन तमाम गरीब, मजदूर व मजलूूम लोगों की तरह सोचू जो एक साधन सम्पन्न देश में रहने के बावजूद भी गरीबी और मुफलिसी में अपना जीवन बिता रहे है। मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप सभी पूर्व की भांति मेरी गलतियों को नजरअंदाज करते हुऐ मेरी इस नयी कोशिश को हाथों-हाथ लेंगे तथा जोखिम द्वारा प्रकाशित विभिन्न संस्करणों की ही तर्ज पर जोखिम की यह वेबसाइट आप सभी संभ्रान्त पाठकों व मेरे हितेषियों के बीच लोकप्रियता को प्राप्त होगी।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
आपका
संजीव पंत
आपका
संजीव पंत