देहरादून। ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य के प्रतीक भगवान गणेश का जन्मोत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी यानी मंगलवार को मनाया गया। बताया जा रहा कि इस बार सालों बाद हस्त और चित्रा नक्षत्र के संयोग में भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाली होगी। मंगलवार को श्ऱद्धालुओं ने अपने घरों में भगवान गणपति की विधिवत पूर्जा अर्चना के बाद स्थापित की। मंदिरो में भी गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से ही लोग पूजा अर्चना के लिए पहंुचने लगे थे। इसके साथ ही 10 दिनों तक श्रीगणेश की घर-घर में आराधना की जाएगी।
मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों के बाद यानी अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। इसीलिए मध्याहन का समय गणेश पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है।इस साल चतुर्थी तिथि यानी आज 2 सितंबर को सुबह चार बजकर 57 मिनट पर शुरू होकर रात को 1 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। आज सूर्योदय से सुबह 8 बजकर 32 मिनट बजे तक हस्त नक्षत्र और इसके बाद मंगलकारी चित्रा नक्षत्र रहा। इसके साथ ही सुबह 8.33 से पूरे दिन-भर रवि योग भी रहा।