लखनऊ,कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सोनभद्र के पीड़ितों से मिलने की 26 घंटे तक चली जद्दोजहद हताश-नाउम्मीद कांग्रेसियों में उत्साह भरने में कामयाब रही है। साथ ही, भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों में कांग्रेस को फिलहाल बढ़त भी दिला गई है।
प्रियंका गांधी ने चुनार के किले में शनिवार को सोनभद्र में मारे गए लोगों के परिवार से मिलने के बाद कहा कि वह अपने मकसद में कामयाब रहीं। खुद राष्ट्रीय स्तर पर उनको मिली सुर्खियों को छोड़ भी दिया जाए तो नि:संदेह यूपी में करीब 30 साल से हाशिए पर चल रही कांग्रेस को संजीवनी देने की उनकी कोशिश इस मायने में कामयाब होती दिखी कि दो दिन प्रदेश के कई जिलों में कांग्रेसी सड़क पर उतरते दिखे। नेताओं में प्रियंका के संघर्ष में शामिल होने की होड़ दिखी।
लोकसभा चुनाव में प्रदेश में हुई शर्मनाक हार और उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता लगभग कोमा में हैं। हताश और निराश पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए यह जरूरी भी था कि प्रियंका खुद सड़क पर उतर कर सरकार के खिलाफ मोर्चा लें। ट्विटर और बयानों से तो वह सरकार के खिलाफ लोहा पहले से ही ले रही थीं लेकिन सोनभद्र की घटना ने उन्हें सड़क पर उतरने का अवसर दिया और वह पूरे दमखम से उतरीं भी। नतीजतन, उत्साहित कांग्रेसी देखते-देखते सोनभद्र, मिर्जापुर ही नहीं प्रदेश के दूसरे जिलों में भी नारेबाजी करते और पुतला फूंकते सड़कों पर उतर गए।
दूसरे, प्रियंका जानती हैं कि भाजपा से अगली चुनावी लड़ाई के लिए जरूरी है कि पहले बतौर विपक्षी दल कांग्रेस मुख्य मुकाबले में आए। फिलहाल प्रियंका सोनभद्र प्रकरण पर दूसरों पर भारी होती दिखीं। लेकिन मजबूत संगठन के अभाव में प्रियंका और कांग्रेस यह माहौल कब तक बनाये रखते हैं, यह उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं।