निर्दलीय व क्षेत्रीय दलों को नकारा
देहरादून। लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की। बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही। उत्तराखंड में बीजेपी और कांग्रेस के बाद लोगों की तीसरी पसंद नोटा रहा। अल्मोड़ा और गढ़वाल लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बाद नोटा को ही सर्वाधिक वोट मिले हैं। वहीं, हरिद्वार, नैनीताल और टिहरी गढ़वाल सीट में नोटा लोगों की चैथी पसंद रहा। पूरे प्रदेश में नोटा को कुल 50,946 वोट पड़े। अल्मोड़ा लोकसभा सीट में बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा वोट किसी प्रत्याशी को नहीं, बल्कि नोटा को मिले। छह प्रत्याशियों वाले इस जिले के कुल वोटों में से 15505 वोट नोटा को मिले। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी नोटा तीसरे नंबर पर ही था। दरअसल, अल्मोड़ा के पांच गांवों में विकास नहीं होने के चलते लोगों ने चुनाव बहिष्कार किया था। बहिष्कार की वजह से कुछ वोट करने ही नहीं निकले तो कई ने नोटा का समर्थन किया। वहीं, 9 प्रत्याशियों वाली गढ़वाल लोकसभा सीट में भी बीजेपी-कांग्रेस के बाद नोटा को ही समर्थन मिला। यहां की जनता ने 12276 वोट नोटा को दिए। तीसरे नंबर पर रहे नोटा से ये साफ होता है कि पौड़ी के लोग किसी नेता के काम से खुश नहीं थे। इसी वजह से उन्होंने नोटा का चुनाव किया। प्रदेश में कुल 2.05 प्रतिशत वोट नोटा को मिले। बता दें कि उत्तराखंड का एक मात्र क्षेत्रीय दल उक्रांद दिनों दिन उत्तराखंड में जनाधार खोता जा रहा है। उक्रांद के प्रत्याशी अलग-अलग सीटों में तीन से पांच हजार से ज्यादा वोट अपने लिए नहीं जुटा पाये। टिहरी लोकसभा सीट में तो पार्टी के हाल और भी ज्यादा बुरे रहे. यहां उक्रांद की प्रत्याशी अनु पंत को महज 723 वोट मिले। वहीं, बसपा का हाल भी उत्तराखंड में कुछ ऐसा ही रहा।