केदारनाथ से शुरू हुई मोरारी बापू की 12 ज्योतिर्लिंग रामकथा यात्रा गुजरात के तलगाजरडा में हुई संपन्न | Jokhim Samachar Network

Saturday, May 18, 2024

Select your Top Menu from wp menus

केदारनाथ से शुरू हुई मोरारी बापू की 12 ज्योतिर्लिंग रामकथा यात्रा गुजरात के तलगाजरडा में हुई संपन्न

ऋषिकेश,। कथाकार मोरारी बापू द्वारा सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में राम कथा का आयोजन करने की अनूठी पहल 8 अगस्त को गुजरात के तलगाजरडा में बापू के चित्रकुटधाम में समाप्त हुई। पवित्र केदारनाथ के पहाड़ों से शुरू होकर सोमनाथ के तट पर समाप्त हुई 12,000 किमी से अधिक की यात्रा सिर्फ 18 दिनों में पूर्ण की गयी और भक्तों के लिए आध्यात्मिकता और आत्मखोज का एक अनूठा अनुभव रही। पूज्य मोरारी बापू ने सनातन धर्म के शैव और वैष्णवों सहित विभिन्न समूहों और समुदायों के बीच सद्भाव और सह-अस्तित्व के बीज बोने के लिए 12 ज्योतिर्लिंगों में राम कथा के शब्दों का प्रचार करने की पहल की।
1008 भक्तों को राम कथा सुनने के साथसाथ सभी 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का भी अवसर प्रदान हुआ। भक्तों को उत्तराखंड में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, काशी में विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में नागेश्वर, भीमाशंकर, त्रयंबकेश्वर और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, और अंत में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का अवसर मिला। भक्तों ने पवित्र धामों ऋषिकेश, जगन्नाथ पुरी, तिरूपति बालाजी और द्वारकाधीश धाम के दर्शन का भी अनुभव लिया। यात्रा के उद्देश्य के बारे में बात करते हुए, पूज्य बापू ने कहा कि तीर्थयात्रा निर्हेतु थी, जिसका कोई गुप्त उद्देश्य नहीं था, लेकिन वह निश्चित रूप से ज्योतिर्लिंगों, धामों और अन्य सभी पवित्र हिंदू स्थलों सहित संतान धर्म की पवित्रता और भक्ति के केंद्रों को फिर से जीवंत करने में मदद करेगी। बापू ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि सभी मंदिर पहले से ही शुद्ध और पवित्र हैं, उन्हें भी साफ और बेहतर व्यवस्थित रखने की जरूरत है ताकि आम आदमी भी आसानी से उन तक पहुंच सके और आंतरिक शांति और दिव्यता के साथ संबंध पाने के लिए दर्शन प्राप्त कर सके।
बापू ने यह भी कहा कि स्वच्छ भारत को बढ़ावा देने और काशी और उज्जैन में भव्य गलियारे बनाने के सरकार के प्रयासों को अन्य प्रमुख तीर्थस्थलों के नवीनीकरण के मॉडल के रूप में देखा जाना चाहिए। इस कथा के माध्यम से बापू ने ष्एक भारत, श्रेष्ठ भारतष् के विचार का भी उत्सव मनाया और अमृतकाल के तहत चल रहे उत्सवों के बीच भारत की सांस्कृतिक विविधता की ओर ध्यान आकर्षित किया।

About The Author

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *