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Saturday, May 04, 2024

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आयुर्वेद को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे हिमालयी देश 

देहरादून। एफआरआई स्थित ऑडिटोरियम में आयुर्वेद विवि के बॉयोमेडिकल संकाय की ओर से जड़ी बूटियों एवं सगंध पौधों के संरक्षण के लिए आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का शनिवार को समापन हो गया।समापन के दिन देश-विदेश से आये शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। वहीं, हिमालयी देशों के प्रतिनिधियों ने आयुर्वेद को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। दिल्ली के आयुर्वेद संस्थान के के डा. पीके प्रजापति ने आयुर्वेद दवाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देने की बात कही। भूटान से आए विशेषज्ञ डा. फुंसुक वांगडि़ ने भूटान और भारत में औषधीय सगंध पोधों की जैवविविधता समान होने और आयुर्वेद एवं भूटान की ट्रेडिशनल मेडिसिन में समानता पर प्रकाश डाला। नेपाल से आयी डा. कोपिला अधिकारी ने नेपाल में पाये जाने वाले सगंध औषधिय पोधों के बारे में विस्तार से बताया। एथनो मेडिसीनल सेंटर, इम्फ़ाल से आये वरिष्ठ वेज्ञानिक डा. एकेएस रावत ने सगंध औषधीय पोधों द्वारा आयुर्वेद के फार्मूलेशन को बनाये जाने पर ज़ोर दिया। कुमायूं विश्वविद्यालय से आये डा. कुमुद उपाध्याय ने हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाले औषधीय पोधों की जानकारी दी तथा इस छेत्र में हो रहे शोध को विस्तार से बताया। वेज्ञानिक सत्रों के अलावा विभिन्न संस्थाओं के प्रतिभागियों के पोस्टर्स भी सम्मिलित किये गये। कुलपति प्रो. सुनील कुमार जोशी एवं कुलसचिव डा. माधवी गोस्वामी ने आमंत्रित विशेषज्ञों शोध पत्र वाचकों एवं प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मन मोहा। इस दौरान प्रो. राधा वल्लभ सती, डा. दीपक सेमवाल, डा. आशुतोष चौहान, डा. नवीन जोशी, चन्द्रमोहन पैन्यूली, संजीव कुमार पाण्डेय, विवेक जोशी, नरेंद्र प्रसाद, डा. जया काला, डा. रूपश्री नाथ, डा. राजीव कुरेले, डा. पीके गुप्ता, डा. इला तन्ना, डा. नन्द किशोर दाधीच, डा. अमित तमदद्दी, डा. प्रबोध, डा. किरण आदि मौजूद रहे।

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