देहरादून उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष डॉ.गीता खन्ना ने अक्षय तृतीया से पूर्व राजस्थान हाई कोर्ट के बाल विवाह के खिलाफ जारी किए गए आदेश को ऐतिहासिक बताते हुए उत्तराखंड सरकार से राज्य में भी बाल विवाह के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की है। डॉ.गीता खन्ना ने बताया कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बाल विवाह को रोकने में विफलता पर पंचों व सरपंचों को जवाब देह ठहराया जाएगा। देश में बाल विवाहों की रोकथाम सुनिश्चित करने के राजस्थान हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद पूरे देश में इस तरह की आवाजें उठने लगी हैं कि उनके राज्य में भी इसी तरह के सख्त कदम उठाए जाएं। उन्होंने उत्तराखंड सरकार से अपील की कि वह भी इस नजीर का अनुसरण करते हुए सुनिश्चित करे कि अक्षय तृतीया के दौरान कहीं भी बाल विवाह न होने पाए। राजस्थान हाईकोर्ट का यह आदेश ऐतिहासिक है जिसके दूरगामी नतीजे होंगे। देश में शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब पंचायती राज प्रणाली को यह शक्ति दी गई है कि वह सरपंचों को अपने क्षेत्राधिकार में बाल विवाहों रोकने में विफलता के लिए जवाबदेह ठहरा सके। प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से इसी तरह के कदम उठाने होंगे। बाल विवाह जैसे मुद्दों के समाधान में सामुदायिक भागीदारी सबसे अहम है। यह अदालती आदेश बच्चों की सुरक्षा के लिए समुदायों को लामबंद करने में स्थानीय नेतृत्व की जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित भी करता है।