देहरादून। दून के उत्तराखण्ड की राजधानी बनने के बाद जनपद की आबादी लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही शहर में गाड़ियां, घर, बाजार भी बढ़ रहे हैं साथ ही बढ़ रहा है अतिक्रमण भी। पुलिस और प्रशासन की कार्यवाही अतिक्रमणकारियों के आगे बौनी होती आयी है। जिसके चलते प्रदेश की राजधानी देहरादून को अतिक्रमण मुक्त बनाना आज भी चुनौती बना हुआ है।
उत्तराखंड की अफसरशाही और नेताओं के इस ओर आंख मूंदने की वजह से हाईकोर्ट को दखल देना पड़ा था। उसके बाद पिछले साल बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चला था लेकिन यह अतिक्रमण फिर पैर पसार चुका है और हालत यह है कि जहां से निगम अतिक्रमण हटाता है, वहां थोड़ी देर में फिर हो जाता है। देहरादून के व्यस्ततम बाजार घंटाघर में अनियंत्रित पार्किंग न हो इसके लिए पार्किंग जोन चिन्हित किए गए हैं। यहां बाकायदा एसएसपी देहरादून के आदेश भी बोर्ड पर टांगे गए हैं। लेकिन शायद इसकी भी परवाह रेड़ी-ठेली वालों को नहीं है और ठीक बोर्ड के आगे बड़े आराम से ठेलियां लग रही हैं। जिसकी वजह से दुपहिया वाले बाजार में अंदर वाहन ले जाते हैं। इस मामले में पूछे जाने पर एसपी सिटी श्वेता चैबे का कहना है कि समय-समय पर स्थानीय पुलिस कार्रवाई करती है। लोकसभा चुनाव में पुलिसकर्मी भी व्यस्त थे। नगर-निगम की जेब्रा टीम खासतौर पर इसी उद्देश्य से बनाई गई है और अब पुलिस उसके साथ मिलकर अभियान चला रही है। उधर नगर निगम अब शहर में होने वाले अस्थाई यानि सड़क घेरकर खड़ी होने वाली रेड़ियों-ठेलियों, दुकान के बाहर सामान रखकर किए जाने वाले अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। लेकिन हालत यह है कि जैसे ही निगम का दस्ता चालान काटकर आगे बढ़ता है। यह लोग फिर वापस पहुंच जाते हैं। अतिक्रमणकारियों की इस हिम्मत की वजह शायद राजनीति भी है। गरीब दुकानदारों पर ज्यादती का आरोप लगाकर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोल दिया है। पार्टी प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि बीजेपी सरकार नौकरियां तो दे नहीं पाई और जो अपना छोटा-मोटा रोजगार कर रहे हैं।उन्हें भी परेशान कर रही है। मेयर सुनिल उनियाल गामा ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह अतिक्रमण कांग्रेस के इसी रवैये की वजह से हैं। बहरहाल इस खींचतान के चलते देहरादून की सड़कों से अतिक्रमण हटना एक बड़ी चुनौती ही है।