देहरादून। लोकसभा चुनाव के प्रचार के आखिरी हफ्ते में बीजेपी और कांग्रेस ने ताकत झोंकी हुई है। उत्तराखंड में दोनों पार्टियों को अपने राष्ट्रीय नेताओं से बड़ी उम्मीद है, जबकि लोकल नेता भी चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। चुनाव प्रचार की इस जंग में बीजेपी के लोकल नेताओं की फौज कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। जहां कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की कमी खल रही है तो वहीं भाजपा के बार्ड तथा बूथ स्तर तक के नेता गली गली चुनाव प्रचार कर रहे है। जिसके चलते कांग्रेस चुनाव प्रचार के मामले में काफी पिछड़ती नजर आ रही है। बीजेपी के 57 विधायकों की सरकार यहां पार्टी के संगठन की ताकत बढ़ा रही है और बूथ तक अपनी बात मजबूती से पहुंचाने का प्रयास कर रही है। कहीं सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत बात पहुंचा रहे हैं तो कहीं विधायक.पर, 11 विधायकों वाली कांग्रेस के लिए यही काम चुनौती बना हुआ है। दरअसल जिन दो बड़े लोकल चेहरों को राज्य में चुनाव प्रचार का काम संभालना था, वो दोनों ही नेता खुद के प्रचार में जुटे हुए हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत नैनीताल में दम भर रहे हैं तो प्रीतम सिंह टिहरी से ताल ठोक रहे हैं। इससे कांग्रेस के प्रचार में लोकल नेताओं व कार्यकर्ताओं का टोटा नजर आ रहा है। कांग्रेस के नेता हर मंच से 5 सीटों पर जीत का दावा तो कर रहे हैं। पर, इस जीत के लिए ऑफिस से फील्ड तक कांग्रेस का मैन-मैनजमेंट नजर नहीं आ रहा। 11 विधायकों वाली कांग्रेस पार्टी का संगठन बूथ पर पहुंचने की बात तो कर रहा है, लेकिन कार्यकर्ता से कनेक्शन और कोऑर्डिनेशन नहीं बना पा रहा है। अगर यही हाल रहा तो 2022 का चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनने में देर नहीं लगेगी।