ऋषिकेश। लक्ष्मण झूला पुल के आम लोगों के लिए आवाजाही बंद होने के कारण यहां स्थित मिनी गोवा बीच पर भी प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। लक्ष्मण झूला क्षेत्र झूला पुल ही नहीं बल्कि 13 मंजिल और 14 मंजिल मंदिरों के कारण भी अपनी अलग पहचान रखता है। हजारों श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन करने यहां आते हैं। इसके अतिरिक्त लक्ष्मण झूला से फूल चट्टी मार्ग पर मिनी गोवा बीच के नाम से गंगा का किनारा प्रसिद्ध है। यहां पूरे वर्ष विदेशी पर्यटक योग क्रियाएं और ध्यान लगाते नजर आते हैं। पुल बंद करने के आदेश से यह क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है।
मनोज डोबरियाल (स्थानीय व्यापारी) का कहना है कि जिलाधिकारी पौड़ी की मेला संबंधी बैठक में हम यह मांग रखते हैं कि नाव घाट और किरमोला घाट तक कांवड़ियों को आने से ना रोका जाए और यह मांग मान ली जाती है। इसका मतलब जिलाधिकारी को भी पुल बंद होने का जून के द्वितीय सप्ताह में आभास तक नहीं था। बाद में पुल बंद करने का फरमान समझ से परे है। बात साफ है कि प्रशासन को भी गुमराह किया गया है।
नरेंद्र धाकड़ (स्थानीय व्यापारी) का कहना है कि कांवड़ मेले को देखते हुए स्थानीय व्यापारियों ने लाखों रुपये का माल एडवांस में खरीद लिया था। मेला शुरू होने से ऐन मौके पर पुल बंद करने का निर्णय तुगलकी फरमान है। स्थानीय व्यापारियों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। वर्तमान में कांवड़ यात्रा के बीच पूरा बाजार सूना है। भविष्य में भी यही हालत रहेंगे। जिस पर सरकार को सोचना चाहिए। अरविंद नेगी (स्थानीय व्यापारी) का कहना है जो लक्ष्मण झूला पुल इस वर्ष ग्रीष्म काल में प्रतिदिन हजारों यात्रियों और पर्यटकों का सफलतापूर्वक भार उठा चुका है। वह पुल अचानक कांवड़ियों का बोझ कैसे नहीं झेल पाता यह समझ से परे है। लोक निर्माण विभाग ने छह महीने तक रिपोर्ट को दबा कर रखा। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
आकाश सिंगल (स्थानीय व्यापारी) का कहना है कि लक्ष्मण झूला पुल के कारण ही सैकड़ों व्यापारियों का परिवार पल रहा है। जिसमें पटरी व्यापारी से लेकर बड़े व्यापारी तक शामिल हैं। सरकार को पुल बंद करने से पहले उसके स्थान पर आवागमन का पहले से ही विकल्प देना चाहिए था। लोक निर्माण विभाग और शासन का यह निर्णय जनहित में नहीं कहा जा सकता।सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
मिनी गोवा बीच पा संकट के बादल
ऋषिकेश। लक्ष्मण झूला पुल के आम लोगों के लिए आवाजाही बंद होने के कारण यहां स्थित मिनी गोवा बीच पर भी प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। लक्ष्मण झूला क्षेत्र झूला पुल ही नहीं बल्कि 13 मंजिल और 14 मंजिल मंदिरों के कारण भी अपनी अलग पहचान रखता है। हजारों श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन करने यहां आते हैं। इसके अतिरिक्त लक्ष्मण झूला से फूल चट्टी मार्ग पर मिनी गोवा बीच के नाम से गंगा का किनारा प्रसिद्ध है। यहां पूरे वर्ष विदेशी पर्यटक योग क्रियाएं और ध्यान लगाते नजर आते हैं। पुल बंद करने के आदेश से यह क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है।
मनोज डोबरियाल (स्थानीय व्यापारी) का कहना है कि जिलाधिकारी पौड़ी की मेला संबंधी बैठक में हम यह मांग रखते हैं कि नाव घाट और किरमोला घाट तक कांवड़ियों को आने से ना रोका जाए और यह मांग मान ली जाती है। इसका मतलब जिलाधिकारी को भी पुल बंद होने का जून के द्वितीय सप्ताह में आभास तक नहीं था। बाद में पुल बंद करने का फरमान समझ से परे है। बात साफ है कि प्रशासन को भी गुमराह किया गया है।
नरेंद्र धाकड़ (स्थानीय व्यापारी) का कहना है कि कांवड़ मेले को देखते हुए स्थानीय व्यापारियों ने लाखों रुपये का माल एडवांस में खरीद लिया था। मेला शुरू होने से ऐन मौके पर पुल बंद करने का निर्णय तुगलकी फरमान है। स्थानीय व्यापारियों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। वर्तमान में कांवड़ यात्रा के बीच पूरा बाजार सूना है। भविष्य में भी यही हालत रहेंगे। जिस पर सरकार को सोचना चाहिए। अरविंद नेगी (स्थानीय व्यापारी) का कहना है जो लक्ष्मण झूला पुल इस वर्ष ग्रीष्म काल में प्रतिदिन हजारों यात्रियों और पर्यटकों का सफलतापूर्वक भार उठा चुका है। वह पुल अचानक कांवड़ियों का बोझ कैसे नहीं झेल पाता यह समझ से परे है। लोक निर्माण विभाग ने छह महीने तक रिपोर्ट को दबा कर रखा। इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
आकाश सिंगल (स्थानीय व्यापारी) का कहना है कि लक्ष्मण झूला पुल के कारण ही सैकड़ों व्यापारियों का परिवार पल रहा है। जिसमें पटरी व्यापारी से लेकर बड़े व्यापारी तक शामिल हैं। सरकार को पुल बंद करने से पहले उसके स्थान पर आवागमन का पहले से ही विकल्प देना चाहिए था। लोक निर्माण विभाग और शासन का यह निर्णय जनहित में नहीं कहा जा सकता।सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।