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Friday, April 26, 2024

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मंथन के बाद

कांग्रेस हाईकमान ने किया संगठनात्मक स्तर पर बड़ा बदलाव चुनाव नतीजों के सामने आने के बाद अपरिहार्य माने जा रहे संगठनात्मक परिवर्तन के क्रम में कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखण्ड में किशोर उपाध्याय के स्थान पर प्रीतम सिंह को संगठन का दायित्व सौंपते हुए प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया है और अगर देखा जाय तो यह कोई बड़ा फेरबदल नहीं कहा जा सकता क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में किशोर उपाध्याय का कार्यकाल न सिर्फ समाप्ति की ओर था बल्कि चुनावी हार के बाद भी संगठन ने उन्हें पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर अपनी खामियां तलाशनें तथा अपने बिखरे साथियों को एकजुट करने का पूरा मौका दिया, जिससे जाहिर है कि कांग्रेस भाविष्य में उनका और बेहतर इस्तेमाल करेगी। जहां तक कांग्रेस की संगठान्मक ताकत का सवाल है तो उत्तराखण्ड के परिपेक्ष्य में यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि राज्य निर्माण के बाद दो बार उत्तराखण्ड की सत्ता पर काबिज हो चुका यह राजनैतिक दल हालियां विधानसभा चुनावों में चारों खाने चित भले ही हुआ हो लेकिन इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि राज्य की राजनीति में कांग्रेस का अपना एक अलग जनाधार है और कार्यक्रताओ व नेताओं के ठीक ठाक संख्या बल के साथ ही कांग्रेस के पास वरीष्ठ न अनुभवी लोगों की कमी नहीं है। यह ठीक है कि हरीश रावत सरकार के दौर में कांग्रेस में हुई बगावत के चलते विजय बहुगुणा, सतपाल महाराज, यशपाल आर्या व हरक सिंह रावत जैसे तमाम दिग्गज नेताओं के कांग्रेस छोड़ देने के बाद एक बारगी यह अहसास हुआ था कि राज्य की राजनीति में कांग्रेस को नेताओं की कमी महसूस हेा सकती है और इन तमाम बड़े चेहरों के साथ भाजपा की शरण में जाने वाले तमाम भूतपूर्व पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के चलते चुनावी मौसम में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है, शायद हुआ भी ऐसा ही और हालिया चुनावों में कांग्रेस को मिली शर्मनाक हार इस बात का प्रतीक है कि कांग्रेस ने चुनावी मौसम में नेताओं से कही ज्यादा कार्यक्रताओं की कमी महसूस की लेकिन इन्हीं चुनावों में भाजपा को मिली अप्रत्याशित जीत के बाद राज्य में गठित भाजपा सरकार अथवा संगठन द्वारा कांग्रेस से आये इन तमाम कार्यक्रताओं को कोई तवज्जों नहीं दी जा रही क्योंकि भाजपा के पास हर स्तर पर अपना कैडर और संगठनात्मक ढांचा मौजूद है। इन स्थितियों में कांग्रेस के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह खुद को मजबूत करने के लिए संगठनात्मक स्तर पर आये इस बिखराव की समीक्षा करे और मतलबपरस्त नेताओं या सत्ता के लोभी चेहरों से दूरी बनाते हुए एक बार फिर जमीनी स्तर से संगठन को खड़ा करने का प्रयास करें। प्रीतम सिंह की साफ-सुथरी छवि और साधारण व्यक्तित्व के अलावा राजधानी देहरादून से एक लम्बा जुड़ाव इन तमाम परिस्थितियों में मद्दगार साबित हो सकता है और सबसे बड़ी बात यह कि प्रीतम सिंह आसानी से साथ उत्तराखण्ड कांग्रेस के दो धु्रव कहे जा सकने वाले हरीश रावत व इन्दिरा हरदेश के साथ बेहतर तालमेल रखते हुए अपना काम कर सकते हैं। हालांकि प्रीतम सिंह राज्य की राजनीति के अनुभवी व चितपरिचित चेहरे नहीं है और न ही उनका कांग्रेस से हटकर कोई बड़ा वजूद है लेकिन राज्य गठन से वर्तमान तक लगातार उत्तराखण्ड विधानसभा के सदस्य रहना और कांग्रेस की दोनों ही सरकारों में र्निविवाद मन्त्री रहना उनकी ऐसी योग्यता है जो उन्हें इस पद का योग्य दावेदार साबित करती है तथा यह तस्दीक भी करती है कि संगठन के मामले में कांग्रेस हाईकमान द्वारा उठाया गया यह कदम वाकई में समयानुकूल व आवश्यक था। हो सकता है अभी-अभी पद से हटे किशोर उपाध्याय के समर्थको यह लगता हो कि हांलिया विधानसभा चुनावों में हारी कांग्रेस ने किशोर को खुद को साबित करने का एक मौका जरूर दिया जाना चाहिए था लेकिन अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस के नजरिये से देखे तो ऐसा मालूम होता है कि ’मोदी इफेक्ट‘ के इस दौर मे कांग्रेस क्या, किसी भी राजनैतिक संगठन के पास इतना समय नहीं है कि वह सोच-विचार या फिर किसी व्यक्ति विशेष को एक मौका और देने के चक्कर में अपना वक्त जाया करें। राहुल गांधी कांग्रेस की मजबूरी हैं क्योंकि कांग्रेस की दिग्गज नेताओं को भी यह लगता है कि गांधी परिवार के एक चेहरे को आगे किये बिना कांग्रेस में एकजुटता कायम रखना सम्भव नहीं है लेकिन यह तरकीब हर राज्य में नहीं आजमायी जा सकती और शायद यहीं वजह है कि कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की संगठनात्मक क्षमताओं व वर्तमान बेरोजगारी से वाकिफ होने के बावजूद भी उन्हे यह जिम्मेदारी देना उचित नहीं समझा। कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि कांग्रेस हाईकमान ने बहुत ज्याद सोच-विचार के साथ प्रीतम ंिसंह को यह अहम् जिम्मेदारी सौंपी है और यह उम्मीद की जानी चाहिए कि विपक्षी दल के नेता व स्थानीय जनप्रतिनिधि की हैसियत से ऊपर उठकर पूरे प्रदेश का दायित्व सम्भालने के लिए तैयार दिख रहे प्रीतम सिंह इस जिम्मेदारी का बेहतर तरीके से निर्वहन करेंगे। उपरोक्त के अलावा उत्तराखण्ड के युवा विधायक काजी निजामुद्दीन को राष्ट्रीय संगठन में सचिव बनाकर कांग्रेस हाईकमान ने यह सन्देश देने की कोशिश की है कि उत्तराखझड की उनकी नजरों में विशेष अहमियत है। ध्यान रहे कि उत्तराखण्ड से प्रकाश जोशी पहले ही सचिव में रूप राष्ट्रीय संगठन में भागीदारी दे रहे है।

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