लोस चुनाव में टिहरी सीट पर विजय बहुगुणा बने कांग्रेस के लिए चुनौती | Jokhim Samachar Network

Saturday, April 27, 2024

Select your Top Menu from wp menus

लोस चुनाव में टिहरी सीट पर विजय बहुगुणा बने कांग्रेस के लिए चुनौती

देहरादून। अपनी ऐतिहासिक परम्परा और संस्कृति के कारण अलग पहचान रखने वाले टिहरी की राजनीति भी खासी दिलचस्प है। टिहरी संसदीय सीट पर 5 बार एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले राजपरिवार और बहुगुणा इस बार आमने-सामने नहीं हैं। इस बार बहुगुणा टिहरी संसदीय सीट से राजपरिवार के लिए वोट मांगेंगे। टिहरी संसदीय सीट पर वर्ष 1999 में भाजपा सांसद रहे मानवेंद्र शाह ने कांग्रेसी प्रत्याशी विजय बहुगुणा को करारी शिकस्त दी थी। वर्ष 2004 में भी मानवेंद्र शाह बहुगुणा को मात देकर लोकभा पहुंचे थे। इसके बाद 2007 में मानवेंद्र शाह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा से मनुजयेन्द्र शाह को कांग्रेस की ओर से विजय बहुगुणा ने शिकस्त दी थी। फिर 2009 में बहुगुणा ने भाजपा के जसपाल राणा को हराया. 2012 में विजय बहुगुणा के सीएम बनने के चलते हुए उपचुनाव में भाजपा से राजपरिवार की बहू माला राज्यलक्ष्मी शाह ने विजय बहुगुणा के बेटे साकेत को हराया। 2014 में भी माला राज्यलक्ष्मी शाह ने साकेत बहुगुणा को मात दी।
राज्य में बदली राजनीतिक परिस्थितियों के चलते विजय बहुगुणा अपने बेटे और कांग्रेसियों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। विजय बहुगुणा की लगातार कोशिशों के बावजूद उन्हें भाजपा से टिहरी संसदीय सीट का टिकट नहीं मिल पाया. भाजपा ने एक बार फिर से राजपरिवार की बहू पर दांव खेला है। ऐसे में विजय बहुगुणा को अब राजपरिवार के लिए टिहरी संसदीय सीट पर केवल प्रचार प्रसार ही नहीं, वोट भी कलेक्ट करने होंगे।
इस बारे में वरिष्ठ समाजसेवी शिवसिंह खंडूरी ने कहा कि बहुगुणा का परिवार राजशाही के खिलाफ चुनाव लड़ा है। लेकिन आज उन्हें अपना वजूद कायम करना है। इसलिए उन्होंने पुरानी बातों को नजरअंदाज कर दिया है ताकि उनका स्वार्थ सिद्ध हो जाए। कल जो एक दूसरे के घोर विरोधी थे, आज एक साथ मिल गए हैं. इसका यही अर्थ है कि हर कोई को अपनी रोटी सेंकनी है. अपना वजूद कायम रखना है और पब्लिक को बेवकूफ बनाते रहना है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार गोविंद सिंह बिष्ट ने कहा कि बहुगुणा पहले कांग्रेस में थे और महाराजा परिवार भाजपा में था। दोनों राष्ट्रीय दल आमने-सामने हुआ करते थे। नीतियों की आलोचनाएं होती थीं। लेकिन आज बहुगुणा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। राजनीति में न कोई स्थायी मित्र होता है और न कोई स्थायी सूत्र होता है. आज बहुगुणा का कर्तव्य ये है कि वे भारतीय जनता पार्टी के लिए निष्ठा से काम करें। टिहरी संसदीय सीट पर जहां राजपरिवार को अपना वर्चस्व कायम रखने की बड़ी चुनौती है तो उनका साथ दे रहे पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को भी पार्टी के प्रति अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का प्रमाण इस चुनाव में राजपरिवार को जीत दिलाकर देना होगा।

About The Author

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *