देहरादून। सूबे की पुलिस की नाकामी के चलते उत्तराखंड की शांत फिजाओं में अपराध का जहर इतना धुल गया है कि यहां की हवाएं ही बदरंग हो गई है। पिछले तीन वर्षों के आपराधिक आंकड़े बता रहे हैं कि उत्तराखंड अब अपराधियों का ठिकाना बन चुका है। सूबे में सक्रिय बदमाश वारदातों को अंजाम देकर अपना खौफ बनाये हुए हैं। प्रदेश में व्यापारियों से रंगदारी, लूट, डकैती, हत्या, अपहरण और भूमि से संबंधित अपराध खुले आम कारित किए जा रहे हैं। इन आकंड़ों में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से इजाफा दर्ज किया गया है।
उत्तराखंड में पिछले तीन साल के अगस्त माह के आंकड़ों को देखा जाए तो इस साल के अगस्त माह में करीब 132 आपराधिक मामले प्रकाश मे आये हैं। इसके अलावा साल 2016 में अगस्त तक 118 मामले और अगस्त 2017 तक करीब 112 मामले सामने आये हैं। पिछले साल प्रदेश में करीब 160 हत्याओं की वारदात के मामले में सामने आये हैं।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक हरिद्वार में अपराध अपने चरम पर है तो दूसरे नेंबर में ऊधमसिंह नगर फिर देहरादून और नैनीताल है। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पुख्ता है, जबकि आंकड़े हकीकत बयान करने के लिए काफी है।
उत्तराखंड में बेखौफ बदमाश सरे आम वारदातों को अंजाम देकर अपना खौफ कायम रखे हुए हैं, जिससे यह साफ है कि अपराधियों में पुलिस का डर खत्म हो गया है। राजधानी देहरादून में मंगलवार को दिन दहाड़े बाइक सवार की हत्या कर फरार हो जाने की घटना जैसे अपराधों में पुलिस सिर्फ तमाशबीन की भूमिका निभा रही है।