•अल्मोड़ा से कौशलेश भट्ट
उत्तराखंड सरकार ने अल्मोड़ा में स्थित सोबन सिंह जीना कैंपस को यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया है।
आज 14 जुलाई 2020 को जारी की गई एक अधिसूचना में उत्तराखंड सरकार ने कुमाऊं यूनिवर्सिटी को पृथक कर सोबन सिंह जीना यूनिवर्सिटी को मान्यता दे दी है।
गौरतलब है कि इस वर्ष 23 फरवरी 2020 को अल्मोड़ा में हुई कैबिनेट बैठक पर अल्मोड़ा में पृथक यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव पारित हुआ था। जिस पर 22 जून 2020 को राज्यपाल महोदया ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। अधिसूचना के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल ने उत्तराखंड सरकार द्वारा पारित नये विश्वविद्यालय के निर्माण पर मुहर लगा दी है।
70 पन्नो की इस अधिसूचना में नए विश्वविद्यालय की आवश्यकताओं को बताया है। नए विश्वविद्यालय के चांसलर का पद राज्यपाल को दिया गया है, जबकि कुलपति एवं परीक्षा नियंत्रक के पद को जल्द ही भरने की बात की गई है।
1 मार्च 1973 में कुमाऊँ यूनिवर्सिटी की नैनीताल में स्थापना के कुछ समय बाद से ही पर्वतीय सीमांत क्षेत्रों के लिए अलग विश्वविद्यालय की मांग हो रही थी, सीमांत क्षेत्रों जैसे धारचूला, मुनश्यारी ,पिथौरागढ़ , चम्पावत और डीडीहाट से नैनीताल की दूरी अधिक होने के कारण सीमांत के लोग नजदीक पर ही विश्वविद्यालय की मांग करते हुए आये थे। जिस मांग पर सरकार ने अमल करते हुए नए विश्वविद्यालय बनाने की योजना बनायी थी जिसे आज स्वीकृत कर दिया गया है। विश्वविद्यालय बनाने का एक कारण यह भी है कुमाऊँ यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध कॉलेजों और कैंपस की संख्या निर्धारित संख्याओं से अधिक हो गयी थी जिस कारण नई यूनिवर्सिटी की आवश्यकता सरकार को भी थी।
नयी यूनिवर्सिटी के तहत पिथौरागढ़ और बागेश्वर में स्थित पीजी कॉलेजों को कैंपस का दर्जा दिया जाएगा और उत्तराखंण्ड आवासीय विश्वविद्यालय को भी इसमें सम्मलित किया जाएगा।
सोबन सिंह जीना का जन्म 9 अगस्त 1909 को अल्मोड़ा जनपद में हुआ था। ये पेशे से एक वकील थे और जनसंघ के नेता थे। जीना अविभाजित उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश) में पर्वतीय मंत्री रह चुके हैं। इनके पहाड़ के विकास में अनमोल योगदान पर इनके नाम से अल्मोड़ा में कैंपस की सत्यापना कि गयी थी।