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Tuesday, May 21, 2024

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सर्वोदयी नेता धूम सिह नेगी को मिला जमनालाल बजाज पुरस्कार 

चंबा/देहरादून। पर्यावरणविद् एवं सर्वोदयी नेता धूम सिह नेगी को वर्ष 2018 के 41वें जमनालाल बजाज पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान उन्हें मुंबई में उपराष्ट्रपति वैकया नायडू, महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने प्रदान किया। पुरस्कार के रूप में उन्हें 10 लाख रुपये की धनराशि, सम्मानपत्र, ट्रॉफी और शॉल प्रदान की गई।
पिछले चार दशक से पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय पर्यावरणविद एवं सर्वोदयी नेता 75 वर्षीय धूम सिंह नेगी को मुबंई के ताज होटल में जमनालाल बजाज फाउंडेशन मुंबई की ओर से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार ग्रहण करते समय धूम सिंह नेगी की पत्नी रेणू देवी और बड़े पुत्र अरविंद मोहन नेगी भी मौजूद थे। इस मौके पर फाउंडेशन के ट्रस्टी बोर्ड के अध्यक्ष राहुल बजाज व सेवानिवृत्त न्यायाधीश डॉ. सीएस धर्माधिकारी मौजूद थे। पर्यावरणविद धूम  सिंह नेगी टिहरी जिले के नरेंद्रनगर प्रखंड स्थित पिपलेथ कठियागांव के रहने वाले हैं। उन्होंने गांव के नजदीकी सरकारी विद्यालय से प्राथमिक शिक्षा और टिहरी से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1964 में वे सरकारी शिक्षक बने और चार साल तक नरेंद्रनगर के दोगी स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षण कार्य किया। लेकिन, क्षेत्र में कोई बड़ा स्कूल न होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जाजल में एक प्राइवेट जूनियर हाईस्कूल की स्थापना की। दस साल वहां पढ़ाने और स्कूल स्थापित करने के बाद उन्होंने वहां से भी त्यागपत्र दे दिया और जंगलों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन में सक्रिय हो गए। उन्होंने चमोली, लासी, बडियारगढ़, खुरेत व नरेंद्रनगर के जंगलों में आंदोलन की कमान संभाली और नौ फरवरी 1978 को नरेंद्रनगर में वनों की नीलामी का विरोध करते हुए जेल गए। चैदह दिन जेल में रहने के बाद नेगी फिर आंदोलन में सक्रिय हो गए। चिपको आंदोलन के सफल होने के बाद वे प्रदेश में शराबबंदी आंदोलन में कूद गये। कई सालों तक शराबबंदी आंदोलन का नेतृत्व किया और फिर 1980 में देहरादून के नजदीकी सिंस्यारु खाला में खनन विरोधी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। चार साल वहां आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद वे नागणी के कटाल्डी खनन विरोधी आंदोलन में सक्रिय हो गए। यहां कई सालों तक उन्होंने आंदोलन की अगुआई की। इसी बीच उन्होंने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन और शिक्षा जागरण आंदोलन में भी सक्रिय भागीदारी की। पर्यावरण के प्रति जागरुकता के लिए नेगी ने कश्मीर से लेकर कोहिमा और गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक की पैदल यात्रा भी की। इसके बाद वर्ष 1994 से वे खेती व पारंपरिक बीजों को बचाने के लिए बीच बचाओ आंदोलन में सक्रिय हो गये। इसके अलावा उन्होंने 1998 में आराकोट से लेकर अस्कोट की दो बार पैदल यात्रा भी की। आज भी वे प्रचार-प्रसार से कोसों दूर अपने गांव पिपलेथ में रहते हैं और नई पीढ़ी को समाज सेवा का पाठ पढ़ा रहे हैं। उनके तीन पुत्र व एक पुत्री हैं। सभी का विवाह हो चुका है।

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