जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पादन 75 प्रतिशत तक गिरा
देहरादून। उत्तराखंड में जैसे-जैसे मौसम ठंडा हो रहा है वैसे-वैसे बिजली की अघोषित कटौती हो रही है। इसकी वजह राज्य में बिजली उत्पादन का लगातार गिरना बताया जा रहा है।
उत्तराखंड राज्य में सरकार की मात्र 12 जलविद्युत परियोजनाएं ही चल रही हैं। इनसे राज्य को आम दिनों में 18 से 20 मिलियन यूनिट बिजली मिलती है लेकिन सर्दियां शुरू होते ही इन परियोजनाओं से बिजली उत्पादन कम होने लगता है। इसका बड़ा कारण होता है नदियों का जलस्तर कम होना।
दरअसल उत्तराखंड में बहने वाली जिन नदियों पर ये परियोजनाएं बनी हैं वह ग्लेशियरों पर निर्भर है। सर्दियों में पहाड़ों पर बर्फबारी होने से ग्लेशियरों का गलना कम हो जाता है और इसका सीधा असर पड़ता है नदियों पर और उनका जलस्तर भी कम हो जाता है। जलस्तर कम होने से सर्दियों में बिजली उत्पादन भी कम हो जाता है।
आजकल राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं से कुल मिलाकर 4 से 5 मिलियन यूनिट बिजली ही मिल पा रही है। इसके अलावा राज्य को 13 मिलियन यूनिट केन्द्रीय पूल से और करीब 3 से 4 मिलियन यूनिट बिजली वैकल्पिक ऊर्जा से मिलती है. 2 मिलियन यूनिट बिजली गैस प्लांटों से पैदा की जाती है। कुल मिलाकर इस समय राज्य को 22-25 मिलियन यूनिट मिल रही है जबकि राज्य की प्रतिदिन बिजली की मांग 36 से 40 मिलियन यूनिट है। यूपीसीएए इस मांग को पूरा करने के लिए 8 से 10 मिलियन बिजली अन्य राज्यों से भी खरीदता है फिर भी 4-5 मिलियन यूनिट की कमी पड़ ही जाती है। इसकी वजह से बिजली की कमी बनी हुई है और यूपीसीएल हर रोज 4 से 5 घंटे ग्रामीण इलाकों में और 2 से 3 घंटे शहरी इलाकों में बिजली कटौती कर रहा है और फिलहाल यह दिक्कत दूर होती नहीं दिख रही है।