पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यकः नानक चंद गोयल | Jokhim Samachar Network

Sunday, May 05, 2024

Select your Top Menu from wp menus

पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यकः नानक चंद गोयल

हरिद्वार । हिन्दी दिवस पर मानव अधिकार संरक्षण समिति एवं भारत विकास परिषद देवभूमि शाखा हरिद्वार द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया द्य इस अवसर पर संगठन मंत्री नानक चंद गोयल ने कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है। परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है। जो विश्व में भारत की पहचान बने द्य आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है।
मानव अधिकार संरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारत विकास परिषद देवभूमि शाखा हरिद्वार के संस्थापक अध्यक्ष  मधुसूदन आर्य ने कहा आज हम जिस भाषा को हिन्दी के रूप में जानते है। वह आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक है। आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है, जो साहित्य की परिनिष्ठित भाषा थी। वैदिक भाषा में वेद, संहिता एवं उपनिषदों-वेदांत का सृजन हुआ है। वैदिक भाषा के साथ-साथ ही बोलचाल की भाषा संस्कृत थी। जिसे लौकिक संस्कृत भी कहा जाता है। संस्कृत का विकास उत्तरी भारत में बोली जाने वाली वैदिक कालीन भाषाओं से माना जाता है।
मानव अधिकार संरक्षण समिति के जिला अध्यक्ष, हरिद्वार एस०आर० गुप्ता ने कहा कि इसे हिन्दी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इतनी समृद्ध भाषा कोष होने के बावजूद आज हिन्दी लिखते और बोलते वक्त ज्यादातर अंग्रेजी भाषा के शब्दों  का इस्तेमाल किया जाता है और तो और हिन्दी के कई शब्द चलन से ही हट गएद्य ऐसे में हिन्दी दिवस को मनाना जरूरी है। ताकि लोगों को यह याद रहे कि हिन्दी  उनकी राजभाषा है और उसका सम्मान व प्रचार-प्रसार करना उनका कर्तव्यघ् हैद्य हिन्दी दिवस मनाने के पीछे मंशा यही है कि लोगों को एहसास दिलाया जा सके कि जब तक वे इसका इस्तेघ्माल नहीं करेंगे तब तक इस भाषा का विकास नहीं होगा।
मानव अधिकार संरक्षण समिति की राष्ट्रिय उपाध्यक्ष अन्नपूर्णा बंधुनी ने कहा कि आज हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाते हैं। इन स्कूलों में विदेशी भाषाओं पर तो बहुत ध्यान दिया जाता है लेकिन हिन्दी की तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता। लोगों को लगता है कि रोजगार के लिए इसमें कोई खास मौके नहीं मिलते। हिन्दी दिवस मनाने का अर्थ है गुम हो रही हिन्दी को बचाने के लिए एक प्रयास। राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री हेमंत सिंह नेगी ने कहा कि राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिन्दी हिन्दुस्तान को बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। प्रांतीय उपाध्यक्ष उत्तराखंड पश्चिम नीलम रावत ने कहा कि हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए। इस वेबिनार में जगदीश लाल पाहवा, डॉ सुनील बत्रा, डॉ पी के शर्मा, रेखा नेगी, आर० के० गर्ग, राजीव राय, विमल गर्ग, मंजु गुप्ता, डॉ दीनदयाल, डॉ शिवि अग्रवाल, डॉ त्रिलोक माथुर, डॉ आलोक, डॉ अंजु शर्मा, प्रकृति अग्रवाल इत्यादि उपस्थित रहे।

About The Author

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *