समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने आज राष्ट्रीय समाजवादी पाटी के सचिव एवं प्रभारी उत्तराखण्ड राजेन्द्र चौधरी के माध्यम से जारी अपने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड दोनों राज्यों में डबल इंजन यार्ड में खड़ा जंग खा रहा है। उत्तर प्रदेश मंे मुख्यमन्त्री जी के कारण लोकतन्त्र चोटिल हुआ है और उत्तराखण्ड में लोकतन्त्र अस्थिरता का शिकार हो गया है। ऐसे में अच्छा होगा कि भाजपा की राजनीति की बेहतरी और दोनों राज्यों में स्थिरता की बहाली के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री जी को उत्तराखण्ड स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि वहां रोज-रोज नेतृत्व परिवर्तन के झंझट से मुक्ति मिल सके। भाजपा की कुनीतियों से उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में बेरोजगारी में लगातार वृद्धि हो रही है। जबसे भाजपा सत्तारूढ़ हुई विकास अवरूद्ध है। महिलाओं का सम्मान के साथ अन्याय हो रहा है। व्यापारी परेशान है। नौजवानों का भविष्य अंधकारमय है। सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में लोकतन्त्र चाहे पाताल मंे समा जाए, शीर्ष भाजपा नेतृत्व भी यहां मुख्यमन्त्री बदलने की हिम्मत नहीं जुटा सकता है। जनता में भाजपा सरकार के प्रति असंतोष बढ़ता जा रहा है। दोेनों राज्यों में पलायन की समस्या समान रूप से गम्भीर है। कानून व्यवस्था में गिरावट और राजनीतिक तिकड़मबाजी केे चलते दोनों राज्यों में न तो पूंजी निवेश हो रहा है और न हीं नए उद्योगधंधे लग रहे है। कोरोना संक्रमण के दौर में सरकारी निष्क्रियता और अकर्मण्यता के कारण लोग मौत के शिकार बनते गए। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। वस्तुतः भाजपा का लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रारम्भ से ही अनादर का भाव रहा है। लोकतन्त्र का अहित करने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। झूठे वादों और नफरत फैलाने की उसकी राजनीति ने समाज को बांटा है और सद्भाव को बिगाड़ने का काम किया है। जनता को गुमराह करके ही भाजपा सत्ता में आई है और आज भी वह उत्तर प्रदेश मंे समाजवादी पार्टी के कामों को ही अपना बताकर भ्रम फैला रही हैै। अराजकता अव्यवस्था और प्रशासनिक अकुशलता से उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में भाजपा सत्तारूढ़ रहेगी तक तक स्वस्थ लोकतन्त्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।