देहरादून। लालढांग चिल्लरखाल के बीच सड़क बनने से कोटद्वार-हरिद्वार की दूरी 20 किलोमीटर कम हो जाएगी और वाहनों को यूपी में अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पडेगा।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो अगले साल से देहरादून से कोटद्वार आने-जाने के लिए उत्तर प्रदेश के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल को जोड़ने वाले कंडी मार्ग के पहले चरण के रास्ते की सभी बाधाएं दूर हो गई हैं और वन मंत्री का दावा है कि अगले साल बरसात से पहले यह तैयार कर लिया जाएगा।
गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड के शुरुआती चरण के लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग निर्माण में वन भूमि समेत तमाम बाधाएं दूर कर ली गई हैं। 11 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर बनने वाले तीन पुलों का सोलह दिसंबर को शिलान्यास किया जाएगा। बता दें कि हरिद्वार से कोटद्वार जाने के लिए अभी उत्तर प्रदेश की सीमा में नजीबाबाद होकर जाना होता है. इससे लंबी दूरी तो तय करनी ही पड़ती है उत्तराखंड के वाहनों को यूपी में अतिरिक्त टैक्स भी भरना पड़ता है।
लालढांग चिल्लरखाल के बीच इस ग्यारह किलोमीटर सड़क बनने मात्र से ही कोटद्वार की दूरी बीस किलोमीटर कम हो जाएगी और वाहनों को यूपी में अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पडेगा। सबसे ज्यादा फायदा सिगड्डी स्थित औद्योगिक ग्रोथ सेंटर को होगा क्योंकि इससे दोनों के बीच की दूरी चालीस किलोमीटर कम हो जाएगी।
वन मंत्री हरक सिंह रावत के विशेष कार्याधिकारी विनोद रावत दावा करते हैं कि यह कोटद्वार के औद्योगिक विकास के साथ ही कंडी रोड निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। वह कहते हैं कि इससे उद्योगों को तो फायदा होगा ही रोजगार भी बढ़ेंगे।