आजीविका परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन करने के डीएम ने दिए निर्देश  | Jokhim Samachar Network

Sunday, May 19, 2024

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आजीविका परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन करने के डीएम ने दिए निर्देश 

देहरादून। जिलाधिकारी डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कलेक्टेट सभागार में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना (आई.एल.एस.पी) की जिला क्रियान्वयन एवं समन्वय समिति की बैठक आयोजित की गयी। जिलाधिकारी ने बैठक में चकराता एवं कालसी विकासखण्ड में चयनित क्षेत्रों में संचालित परियोजना की अद्यतन प्रगति का विवरण, रेखीय विभागों के इस सम्बन्ध में किये गये प्रयासों के साथ ही उत्पादन समूहों के सदस्यों से उनको प्राप्त लाभ और अनुभव का विवरण प्राप्त करते हुए सभी को आजीविका परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन करने के निर्देश दिये।
उन्होंने आजीविका समूहों के बेहतर उत्पादन, फूड प्रोसेसिंग, मार्केटिंग व पैकेजिंग के साथ ही हास्पिलिटी का प्रशिक्षण प्रदान करते हुए उनको होम स्टे व ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़ने के प्रयास करने के प्रभागीय परियोजना प्रबन्धक उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास समिति को निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि आजीविका समूह द्वारा उत्पादित उत्पाद की बेहतर ब्राण्डिंग करें, उनके जीआई टैग का प्रयास करें और उत्पादों का बेहतर मार्केट प्रदान करने के लिए अभिनव प्रयास करें। जिन क्षेत्रों में आजीविका के उत्पाद की खपत की बड़ी संभावना हैं उसी दिशा में समूह के सदस्यों को उत्पादन करवाने और प्रशिक्षण देने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि समूहों के द्वरा उत्पादित माल की यदि पैकेजिंग, गे्रडिंग और ब्राण्डिंग के साथ ही बेहतर गुणवत्ता रखी जाय तो उत्पाद की मार्केट में डिमांड भी तेजी से बढेगी और उत्पादन समूहों की आर्थिकी भी तेजी से सुधरेगी। जिलाधिकारी ने कहा कि पुष्प उत्पादन, मत्स्य उत्पादन, डेयरी, मधुमक्खी पालन में बहुत स्कोप है अतः इस पर जोर दें। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को उत्पादन समूहों द्वारा उत्पादित माॅल को होम स्टे से कनेक्ट करते हुए उनकी स्थानीय स्तर पर ही खपत करवाने और मनरेगा तथा अन्य विभिन्न योजनाओं से अभिकरण (कन्वर्जेन्स) जितना भी किया जा सकता है के प्रयास करने के निर्देश दिये। इसके लिए विभिन्न विभागों से जो भी सहयोग लिया जा सकता है, लें और विभाग की विभिन्न योजनाओं को आपस में जोड़कर बेहतर प्रगति के लिए जितने भी प्रयास किया जा सकते हैं किये जाने चाहिएं।
जिलाधिकारी ने कहा कि जो गांव एकीकृत आजीविका परियोजना के अन्तर्गत कार्य करना चाहतें उन पर विशेष फोकस करते हुए वहां ग्रामीण पर्यटन का माॅडल बनायें क्योंकि चकराता पर्यटन के लिहाज से बहुत ही सुन्दर, विविधताओं से परिपूर्ण व सांस्कृतिक परिवेश, कृषि और पशुपालन केन्द्रित है, जो ग्रामीण पर्यटन के लिए आदर्श दशाएं उत्पन्न करता है। आज का पर्यटन ऐसे ही साफ-सुथरे, जैविक उत्पाद और सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण क्षेत्र को पसंद करते हैं। अतः यहां सारी गतिविधियों खेती, पशुपालन, पुष्प उत्पादन, बागवानी, मत्स्यपालन इत्यादि को पर्यटन के साथ कनेक्ट करते हुए एकीकृत माॅडल के तौर पर कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि एकीकृत माॅडल पर कार्य करते हुए जितने भी नये विचार, कहीं से अच्छा अनुभव भी प्राप्त होता है तो उसको भी इसमें शामिल करते हुए कार्य करें। अतः उत्पादक सहकारिताओं को हाॅस्पिटलिटी, फूड प्रोसेसिंग, बेहतर पैकेजिंग और बेहतर मार्केटिंग करने का प्रशिक्षण जरूर दें। इसके अतिरिक्त पैकेजिंग और मार्केटिंग समूह को सेपरेट रखें जो केवल मार्केटिंग का ही कार्य करेंगे।
जिलाधिकारी ने कहा कि यदि आजीविका परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्यों में स्थानीय थीम पर आधारित बेहतर व आकर्षक डिजाइनिंग का ध्यान रखा जाय तथा उत्पादों के वैल्यु एडीशन के प्रयास किये जाय तो बेहतर परिणाम दिखेंगे। उन्होंने अगली बैठक में आज दिये गये निर्देशों के अनुरूप परियोजना का कार्य करने को कहा, साथ ही कहा कि अगली बैठक में इन बिन्दुओं पर की गयी प्रगति का विवरण प्राप्त करेंगे। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी नितिका खण्डेलवाल, जिला विकास अधिकारी प्रदीप पाण्डेय, सहायक परियोजना प्रबन्धक डीआरडीए आर.पी सेमवाल, प्रभागीय परियोजना प्रबन्धक (आईएलएसपी) कालसी बी.के भट्ट, लीड बैंक अधिकारी संजय भाटिया, मुख्य उद्यान अधिकारी मीनाक्षी जोशी सहित कालसी और विकासखण्ड चकराता क्षेत्रों के उत्पादक समूहों के समूह और सम्बन्धित विभागीय कार्मिक उपस्थित थे।

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