पार्टी के भीतर की अंर्तकलह न डूबा दे कहीं हरीश रावत की नाव
देहरादून। नैनीताल और हरिद्वार सीट पर बसपा प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस के चुनावी समीकरण गड़बड़ाने के आसार बन रहे है। यहां बसपा प्रत्याशी कांग्रेस को कितना डेमेज करेगा यह अभी भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है।
नैनीताल सीट पर इस बार कांग्रेस और भाजपा ने ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। जोकि राज्य के चैथे विधानसभा चुनाव मंे करारी हार का सामना कर चुके थे। कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए भी दो दो सीटों पर भाजपा के हाथों करारी हार का सामना कर चुके है,तो वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी विधानसभा चुनाव मंे हार गए थे। नैनीताल लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस और भाजपा ने दोनों विधानसभा चुनाव के हार का सामना कर चुके दो वरिष्ठ नेताओं पर दांव खेला है। बताया जा रहा है कि नैनीताल लोकसभा क्षेत्र में बसपा प्रत्याशी के चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। बसपा कांग्रेस को इस सीट पर कितना डेमेज करेगी। यह मतदान के बाद ही पता चलेगा। किन्तु राजनीतिक हलको में यह तय माना जा रहा है कि बसपा प्रत्याशी जितना मजबूत होगा उतना ही नुकसान मुख्य रूप से कांग्रेस को होगा। जबकि बसपा प्रत्याशी के चुनाव मैदान में होने से भाजपा को न के समान ही नुकसान होने की उम्मीद जताई जा रही है। खुद कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि नैनीताल सीट पर भाजपा एकजुटता के साथ चुनाव मैदान में है जबकि कांग्रेस मंे आपसी गुटबाजी के चलते जो अंर्तकलह है। उसका खामियाजा भी चुनाव मंे पार्टी प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भुगतना पड़ सकता हैै। कांग्रेस के सिर पर एक तो बसपा प्रत्याशी खतरे की घंटी बनकर चढ़ा हुआ है। दुसरे कांग्रेस में भीतरघात की पूरी संभावनाएं बनी हुई है। राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठेगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। पर इस सीट पर भाजपा की एकजुटता अंर्तकलह का दंश झेल रही कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नही है।