देहरादून। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में प्रीतम सिंह के कूदने से इस बार टिहरी सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कडे मुकाबले की उम्मीद है। कांगे्रस प्रत्याशी व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोकप्रियता का ग्राफ टिहरी लोकसभा क्षेत्र ही नही बल्कि सूबे में कभी गिरते नही देखा गया।
टिहरी लोकसभा ़क्षेत्र में राजपरिवार के कारण हमेशा भाजपा का वर्चस्व रहा है। जिसके चलते हमेशा कांग्रेस को इस सीट पर मुह की खानी पड़ी थी। राजा मानवेन्द्र शाह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र मनुजेन्द्र शाह को इस सीट पर कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। उसके पश्चात रानी विजय राज्य लक्ष्मी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में इस सीट से भाजपा के बैनर तले अपना भाग्य आजमाया और सफल भी रही। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार रानी इस बात को लेकर शुरू से ही आरोपों के घेरे में रही है कि वे जनता के बीच एक जनप्रनिधि के रूप में कभी सफल नही हो पायी। एक चर्चा के अनुसार वो लोगों से कम नही मिलती जुलती है। जिसे लेकर पार्टी कार्यकर्ता तक खासे नाराज है। जिसे लेकर इस बार रानी का टिकट भाजपा आलाकमान तक ने काटने का निर्णय ले लिया था। किन्तु भाजपा के प्रति उनके परिवार की वफादारी ने उनकी साख बचा ली और रानी फिर से एक बार फिर इस चुनाव में अपना भाग्य आजमा रही हैै। इधर इस बार कांग्रेस ने भी इस सीट पर सही दांव खेल कर प्रीतम सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। टिहरी लोकसभा सभा क्षेत्र मेें प्रीतम सिंह की अपने पिता स्वर्गीय गुलाब सिंह के समय से ही अच्छी पकड़ है। प्रीतम सिंह के सरल व समाजसेवी कार्यशैली से लोकसभा क्षेत्र के लोग भली भांति जानते है। इसलिए कहीं प्रीतम सिंह चुनाव में भाजपा पर भारी न पड जाएं इसकी पूरी संभावनाएं बनी हुई है।