देहरादून। प्रदेश की राजधानी देहरादून में नदी, नालों व तालाब-खालों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच ने देहरादून के जिलाधिकारी को पूछा है कि अतिक्रमण मामले को लेकर उन्होंने क्या कदम उठाए हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि पूरी दून घाटी के अतिक्रमण को लेकर दो हफ्तों के भीतर शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर शपथ पत्र डीएम नहीं दाखिल करते हैं तो वो कोर्ट में खुद मौजूद रहें। हाईकोर्ट ने राज्य और केन्द्र सरकार को भी इस मामले पर जवाब न देने पर जमकर फटकार लगाई।
बता दें कि उर्मिला थापा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि राजपुर और मसूरी के बीच में कई स्थानों पर नदी नाले व जलमग्न भूमि में अवैध अतिक्रमण किया गया है। जिससे देहरादून की हरियाली को भी खतरा बन गया है। याचिका में अतिक्रमण हटाने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में 10 साल पुरानी सैटेलाइट तस्वीरों भी दिखाई थीं जिनमें हरियाली नजर आ रही थी। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि दून घाटी की हरियाली को खतरा है। कोर्ट को बताया गया है कि 1989 में केन्द्र सरकार ने दून वैली को ईको सेंसिटिव बनाने की अधिसूचना जारी की थी और उसका भी उल्लंघन किया गया है। कोर्ट ने तीन महीने पहले भी इस मामले पर सफाई मांगी थी लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उर्मिला थापा की याचिका को फिर सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज्य केन्द्र व एमडीडीए से जवाब तलब किया है। खासतौर पर देहरादून के जिलाधिकारी से दो हफ्ते में यह बताने को कहा है कि कहां-कहां बरसाती नालों को भरा जा रहा है और इसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गई है, क्या की जानी है।