देहरादून। पाॅलीथीन इंसानों के अलावा आवारा जानवरों के लिए भी खतरा बनती जा रही है। अब तक कई आवारा गोवंश पाॅलीथीन खाने से अपनी जान गंवा चुके है। हांलाकि पाॅलीथीन पर प्रदेश में काफी पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया गया था। किन्तु नगर निगम पालिकाओं व प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली के चलते पाॅलीथीन पर प्रतिबंध मात्र कागजों तक ही सीमित रह गया था। किन्तु अब दून नगर निगम ने पाॅलीथीन पर प्रतिबंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। जल्द ही पाॅलीथीन पर प्रतिबंध लगाने की मुहीम को अमलीजामा पहनाया जाएगा।
प्रदेश की राजधानी देहरादून का नगर निगम अब पॉलीथीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए युद्धस्तर पर काम करने जा रहा है। हालांकि राज्य में पॉलीथीन का इस्तेमाल एक साल से ज्यादा समय से प्रतिबंधित है लेकिन जमीन पर ऐसा अब तक कहीं नजर नहीं आया। देहरादून समेत सभी स्थानों में धड़ल्ले से पॉलीथीन का इस्तेमाल जारी है और चिंताजनक बात तो यह है कि इसकी वजह से गायों की मौत भी हो रही है। यह पता चलने के बाद अब देहरादून नगर-निगम ने पॉलीथीन पर प्रतिबंध को पूरी तरह लागू करने के लिए एक टीम बनाई है। पिछले साल 30 जुलाई को प्रदेश में पॉलीथीन को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके बावजूद भी दून में भी, जहां सारे मंत्री और अधिकारी बैठते हैं, इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। देहरादून समेत सभी नगर-निकाय पॉलीथीन पर प्रतिबंध के लिए अभियान चलाते रहते हैं लेकिन ये औपचारिकता ज्यादा लगते हैं क्योंकि कूड़े में पॉलीथीन ही पॉलीथीन नजर आता है, जिसे आवारा गोवंश भी खाता है। देहरादून के नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि पिछले दिनों कुछ गायों के मारे जाने के बाद उनका पोस्टमार्टम किया गया तो उनके पेट से 30-40 किलो तक पॉलीथीन निकला। दरअसल पॉलीथीन का सेवन किसी के लिए भी जानलेवा है लेकिन सिस्टम की नाकामी की वजह से ये आवारा गोवंश यही पॉलीथीन खाने के लिए मजबूर है। पांडेय ने कहा कि उप नगर आयुक्त की अध्यक्षता में एक टीम का गठन किया है जो सिर्फ पॉलीथीन पर प्रतिबंध को लागू करने के लिए काम करेगी। यह टीम अपना काम सफलतापूर्वक कर सके इसके लिए इसे पर्याप्त संसाधन भी दिए गए हैं।