उत्तराखंड में मौसम विभाग ने छह, सात और आठ जुलाई को भारी से भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। खासकर टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, हरिद्वार, बागेश्वर समेत आठ जिलों के लिए। वैसे तो विषम भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर पूरा मॉनसून काल ही उत्तराखंड के लिए किसी आफत से कम नहीं होता और इससे निपटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को लगातार सक्रिय रहना होता है. इस साल भी सरकार ने पूरे इंतजामात करने का दावा किया है। आपदा प्रबंधन न्यूनकरण केन्द्र के अधिशासी अभियंता पीयूस रौतेला ने मॉनसून काल से निपटने को लेकर प्रशासनिक तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में संचार सेवाएं बाधित होने की स्थिति में 180 सेटेलाइट फोन जिले और तहसील स्तर पर दिए गए हैं. सर्च ऑपरेशन के लिए प्रत्येक जिले में एक-एक ड्रोन तैनात रहेगा। भागीरथी और गंगा के किनारे आपात स्थिति के लिए 18 वैली ब्रिज, छह पैदल पुल और आठ मैनुअल ट्राली बैकअप में रखे गए हैं। आबादी से लगे आठ स्थानों पर बाढ़ से पहले चेतावनी के लिए सायरन की व्यवस्था की गई है।
विद्युत, पेयजल और संचार सुविधाओं की त्वरित बहाली प्राथमिकता पर रहेगी। राज्य में मौजूद 520 हैलिपैड और उनके कॉआर्डिनेट्स की जानकारी अपडेटेड है। प्रदेश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल 178 क्रोनिक लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं. इन स्थानों पर रास्ता खोलने के लिए 192 लैंडरोवर मशीनें तैनात रहेंगी। इसके अलावा राज्य मार्गों पर 66 क्रोनिक लैंड स्लाइड जोन चिन्हित कर वहां 73 मशीनें तैनात कर दी गई हैं। मॉनसून काल में अक्सर प्रभावित होने वाले 541 मार्गों के बंद होने की स्थिति में 244 वैकल्पिक मोटर मार्गों को तैयार किया गया है। लोक निर्माण विभाग का दावा है कि मॉनसून काल में बंद सड़कों को खोलने के लिए ढाई हजार श्रमिक और साढ़े पांच सौ मशीनें तैनात की गई हैं।