नियमों व संवेधानिक मान्यताओं के बावजूद | Jokhim Samachar Network

Friday, April 26, 2024

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नियमों व संवेधानिक मान्यताओं के बावजूद

कांग्रेस के तेज-तर्रार विधायक करन मेहरा द्वारा नियम 54 -55 के तहत रूड़की में पकड़े गये सैक्स रैकेट की मुख्य सरगना के तार भाजपा से जुड़े होने के मामले को सदन में उठाने में मिली असफलता चालू विधानसभा सत्र के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत नियमों का हवाला देते हुये एक अहम् मुद्दे को सदन में चर्चा का विषय बनने से बचा ले गये और बेटी-बचाओं-बेटी पढ़ाओं नारे के साथ महिला सशक्तिकरण की बात करने वाली भाजपा की इस अहम् मुद्दे पर सदन के भीतर किरकिरी होने से बच गयी। किस्सा कुछ इस तरह है कि कांग्रेस के तेजतर्रार युवा नेता करन मेहरा रूड़की में सामने आये देह व्यापार के एक रैकेट को मुद्दा बनाते हुये भाजपा को निशानें पर लेना चाहते थे और इसके लिऐ प्राथमिक तैयारी के रूप में उन्होंने इस विषय को सदन की कार्य संचालन नियमावली के नियम 54 व 55 में उठाने का मन बनाया था लेकिन संसदीय कार्यों के मामले में अहम् जानकारी रखने वाले प्रकाश पंत ने इस मामले में उनकी एक नही चलने दी और सदन की कार्यवाही के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल के लिऐ भीष्म पितामह नेता प्रतिपक्ष इन्दिरा हृदयेश के लिऐ कार्य संचालन नियमावली की मर्मज्ञ जैसे शब्दों का प्रयोग कर उन्होंने विपक्ष को मजबूर कर दिया कि वह इस पूरे मामले को सदन में चर्चा का विषय बनाये जाने की जिद छोडे़। हांलाकि विषय को सदन में चर्चा के लिऐ लाकर करन मेहरा जनता के एक हिस्से का ध्यान इस ओर आकृर्षित करने में कामयाब भी रहे और कतिपय पत्रकारों ने अपने समाचारों के माध्यम से इस घटनाक्रम पर तवज्जों देने की कोशिश भी की लेकिन विषय को चर्चा के लिऐ स्वीकार न किये जाने के चलते यह तथ्य स्पष्ट रूप से सामने नही आ पाया कि यह तथाकथित नेत्री कबसे व किसके संरक्षण में इस धंधे में लिप्त थी या फिर नौकरी लगाने के बहाने लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर जिस्म फरोसी के धंधे में उतारने के इस खेल में और कौन-कौन शामिल था। कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि भाजपा यह नही चाहती थी कि इस सम्पूर्ण घटनाक्रम की चर्चा सदन के भीतर हो और चर्चा के बहाने विपक्ष द्वारा इस सम्पूर्ण घटनाक्रम के तार बंगाल में हयूमन टेªफिकिंग के मामले में पूर्व में ही गिरफ्तार की जा चुकी भाजपा नेत्री से जुड़े, या फिर कुछ वर्षो पूर्व कंडोंमो के सीवरेज लाईन में फंसने से चोक हुई उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश के कार्यालय की नालियों का किस्सा एक बार फिर जन चर्चाओं का विषय बने लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रदेश की पूर्ण बहुमत वाली भाजपा सरकार इस तरह के किस्से कहानियों और प्रदेश भर में हो रहे महिला उत्पीड़न के किस्सों को लेकर वाकई में संवेदनशील है और यह दावे के साथ यह कह सकती है कि उसके किसी कार्यकर्ता अथवा पदाधिकारी द्वारा इस तरह के घटनाक्रमों को संरक्षण नही दिया जा रहा है। यह तथ्य किसी से छुपा नही है कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आन्दोलन चला रही शराब विरोधी महिलाओं के साथ पुलिसिया शह पर होने वाली छेड़छाड़ व छिटाकंशी आम बात है तथा शराब विक्रेता लाॅबी के समर्थन में जुटने वाले लठैतों व पुलिसिया तंत्र द्वारा महिलाओं को डराने व धमकाने के साथ ही उनके साथ अमार्यादित आचरण करने या फिर गुण्डागर्दी करने के अनेकों घटनाऐं लगातार सामने आ रही है। प्रदेश में इस वक्त भाजपा सत्ता पर काबिज है ओर राजस्व बढ़ोत्तरी के नाम पर तमाम पुरानी व नयी शराब की दुकानें खुलवाने के लिये वचनबद्ध दिखती सरकार ने अपनी लक्ष्य प्राप्ति के लिऐ तमाम पुलिस प्रशासन व जिलाधिकारी तक को इस मुहिम में जोत रखा है। हालांतों के मद्देनजर हम यह कह सकते है कि शराब की दुकानें खुलवाने की जोर-जबरदस्ती के तहत प्रदेश भर पर में महिला आन्दोलनकारियों के साथ हो रही जोर-जबरदस्ती व अन्य किस्म के अत्याचारों को सरकार की शह है और अपने कारकूंनों को महिलाओं के साथ अभ्रदता, छेड़छाड़ अथवा अमानवीय व्यवहार करने की छूट देने वाली किसी भी सरकार से यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह महिलाओं से जोर-जबरदस्ती जिस्म फरोशी कराये जाने के घटनाक्रम का जिक्र इतनी आसानी के साथ अपने बहुमत वाली विधानसभा में होने देगी और वह भी तब जबकि यह लगभग तय हो चुका हो कि महिलाओं व लड़कियों को जोर जबरदस्ती या फिर सरकारी नौकरी दिलाने के बहाने इस धंधे में उतारने वाली सरगना भाजपा से ही जुड़ी एक महिला नेत्री है। धर्म, संस्कार, मर्यादा, और आचरण की बात करने वाली भाजपा की विचारधारा से जुड़े लोग महिलाओं के खिलाफ होने वाले तमाम तरह के अपराधों के लिऐ अपराधी की मानसिकता से कहीं अधिक पीड़िता द्वारा पहने जाने वाले वस्त्रों, उसके संस्कार अथवा आचरण को दोषी मानते है तथा धार्मिक कट्टरता की भाषा बोलने वाली हर फांसीवादी ताकत को यह लगता है कि वह महिलाओं को दोयम दर्ज का नागरिक बना आसानी के साथ सत्ता तंत्र पर अपनी कब्जेदारी बरकरार रख सकती है। शायद यही वजह है कि संगठनात्मक मजबूरियों व महिला मतदाताओं को अपने साथ जोड़े रहने के लिऐ आवश्यक महिला विंग के गठन के बावजूद इस तरह की मानसिकता से ग्रस्त तमाम राजनैतिक लोग महिलाओं को मात्र उपभोग की वस्तु मानकर चलते है और राजनीति में इस तरह की मानसिकता वाली महिलाओं को पद, गरिमा व प्रत्याशी बनने का मौका आसानी से मिल जाता है। यह एक जाँच का विषय हो सकता है कि देश के कितने राजनैतिक दल किसी सामान्य व्यक्ति को विचारधारा के नाम पर अपने साथ जोड़ने अथवा उसे किसी भी तरह की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अथवा पद देने से पहले उसके निजी जीवन या आपराधिक जीवन को लेकर छानबीन करते है और राजनीति के खेल में बेतहाशा पैसा बहाने वाले नेता या राजनैतिक दल के पदाधिकारी से कब यह पूछा जाता है कि उसके पास इस धन की प्राप्ति के क्या श्रोत है लेकिन इस सबके बावजूद किसी राजनैतिक दल से जुड़ा कोई सनसनी खेज मामला सामने आने पर आरोपी को निशाने पर लेने या फिर आरोंपी के बहाने राजनैतिक दल विशेष पर निशाना लगाने या फिर खुद को सुरक्षित रखने के लिऐ सफाई प्रस्तुत करने की होड़ सी लग जाती है और कोई भी नेता या राजनैतिक दल यह जानने की कोशिश नही करता कि किन कमियों के चलते एक आपराधिक प्रवृत्ति का नेता या आरोपी संगठन से जुड़ गया है। टेलीफोन से दी गयी मिस काॅल के जरिये पार्टी का प्राथमिक सदस्य बनाने को अपनी जीत मानने वाली भाजपा ने एक बार अवश्य इन तमाम मुद्दो पर विचार करते हुये यह मंथन करने की कोशिश करनी चाहिए कि आॅखिर क्यों और कैसे सत्ता के शीर्ष पर आते ही भाजपा से जुड़े अपराधियों की संख्या में तेजी से विस्तार होता जा रहा है और अपराधी प्रवृत्ति के लोग किस तरह अपने भाजपाई सम्पर्कों का लाभ उठाकर कानून की ऐसी -तेसी करने में जुटे हुऐ है।

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