उन्होंने शनिवार देर रात आश्रम में अंतिम सांस ली। वह बीते 34 वर्षों से डुमेट-बाड़वाला में रहते हुए साधना करने के साथ ही आसपास के ग्रामीणों के उत्थान के लिए काम कर रहे थे। उनके आश्रम में देश विदेश से साधक आकर ध्यान साधना किया करते हैं। रविवार को ब्रह्मलीन स्वामी का यमुना तट पर अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में योग गुरु रामदेव, आचार्य बालकृष्ण समेत देशभर के अखाड़ों से आए संत महात्मा शामिल हुए। साधना केंद्र आश्रम के साधकों ने बताया कि देह त्यागने के लिए चंद्रस्वामी उदासीन ने बीते 14 दिनों से अन्न जल त्याग कर दिया था। शनिवार देर रात सभी साधकों को अपना आशीर्वाद और स्नेह देने के बाद उन्होंने देह त्याग दी। पांच मार्च 1930 को पाकिस्तान के जिला उकाड़ा तहसील दीपालपुर के भूमनशाह गांव में जन्मे चंद्रस्वामी विभाजन के बाद हरियाणा के सिरसा जिले में आ गए थे। वर्ष 1990 में उन्होंने डुमेट-बाड़वाला में यमुना तट पर अपना आश्रम बनाया, जिसके बाद से वे यहीं रहकर अपनी साधना कर रहे थे। साधना केंद्र आश्रम में देश-विदेश से साधक ध्यान साधना के लिए आते हैं। यहां प्रतिदिन तीस से चालीस साधकों को दिन में चार बार ध्यान साधना कराई जाती है।