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देहरादून राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से राजभवन में ‘‘राष्ट्रीय एकता यात्रा’’ पर आए टेंग्नौपाल, मणिपुर के छात्र-छात्राओं ने भेंट की। ‘‘ऑपरेशन सद्भावना परियोजना’’ के अंतर्गत राष्ट्रीय एकता यात्रा में टेंग्नौपाल, मणिपुर के 20 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। 3 असम राइफल्स के सौजन्य से आए ये छात्र-छात्राएं देहरादून सहित देश के अन्य हिस्सों में स्थित विभिन्न संस्थानों का भ्रमण कर रहे हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि पूर्वोत्तर की समृद्ध संस्कृति से मैं भली-भाँति परिचित हूँ, मैंने अपने सैन्य सेवाओं के 10 वर्ष पूर्वोत्तर में गुजारे हैं। उन्होंने बच्चों का आह्वान किया कि जीवन में क्या बनना है इसके लिए सपने देखना जरूरी है लेकिन सपने जागकर देखें। हमेशा अपना लक्ष्य ऊँचा रखिए। आप किसी भी क्षेत्र को चुनते हैं उस क्षेत्र के शीर्ष पद पर पहुंचने का अपना लक्ष्य बनाएं।
राज्यपाल ने कहा कि आज के नए भारत में आप के लिए अवसरों की भरमार है। 2047 के विकसित भारत संकल्प के तहत अपना देश समृद्ध, आत्मनिर्भर और सर्वश्रेष्ठ बने इसके लिए प्रत्येक नागरिक की अहम भूमिका है। विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ते हुए आज देश में रोडवे, रेलवे, एयरवे आधारभूत ढ़ांचे के विकास में अभूतपूर्व सुधार हो रहा है।
राज्यपाल ने बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि शैक्षिक यात्रा के दौरान जो कई चीजें सीखने को मिली होंगी वह आगे आपके भविष्य में अवश्य काम आएंगी। राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के प्रति प्रेरित करते हुए उन्होंने बच्चों को राष्ट्र निर्माण में बढ़-चढ़कर योगदान देने की अपील की।
राज्यपाल ने बच्चों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अपना आशीर्वाद दिया। उन्होंने असम राइफल्स के प्रयासों की सराहना की। इस यात्रा में 3 असम राइफल्स के टीम लीडर मेजर सुशील कुमार एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहें।
उत्तराखंड में निजी स्कूलों के 19 हजार दाखिलों की होगी जांच, आरटीई में हुए थे छात्रों के एडमिशन
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत वर्ष 2023-24 में राज्य के निजी स्कूलों में हुए सभी दाखिलों की जांच होगी। इसके लिए बाकायदा शिक्षा विभाग की टीमें भौतिक सत्यापन शुरू करेंगी। बीते साल आरटीई के तहत प्रदेश में 19249 बच्चों को प्रवेश मिला है।
बीती 17 फरवरी को समग्र शिक्षा उत्तराखंड के राज्य परियोजना निदेशक बंशीधर तिवारी ने आरटीई को लेकर ऑनलाइन मीटिंग ली थी। जिसमें छात्र प्रतिपूर्ति की धनराशि बच्चों के बैंक खाते में भेजने में हो रही परेशानी का मामला सामने आया था।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बच्चों के बैंक अकाउंट एक्टिव न होने और गलत खाता संख्या होने के कारण कई छात्रों का पैसा ही नहीं आया। निजी स्कूलों की ओर से लापरवाही बरतने से ऐसा हुआ है। मामले का संज्ञान लेते हुए परियोजना निदेशक ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों का भौतिक सत्यापन करने को कहा है।
साथ ही ये भी कहा है कि यदि बच्चों के खाते में प्रतिपूर्ति रकम नहीं पहुंचती है तो इसके लिए संबंधित निजी स्कूलों के प्रधानाचार्य और प्रबंधक जिम्मेदार होंगे। पहले बच्चों को बाद में स्कूलों को मिलेगी रकम आरटीई में प्रवेश लेने वाले बच्चों को प्रतिपूर्ति की रकम शिक्षा विभाग से मिलती है।
साथ ही स्कूलों को भी बच्चों की फीस, मेंटिनेंस खर्च आदि के लिए प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। सीईओ नैनीताल जगमोहन सोनी ने स्पष्ट किया है कि अब तभी स्कूलों को उनके हिस्से की प्रतिपूर्ति की रकम मिलेगी, जब सभी बच्चों के हिस्से का पैसा उनके खाते में पहुंच जाएगा।
बच्चों के बैंक खाते, आईएफएससी कोड की सही से जांच करने को निर्देशित किया गया है। कई जिलों में बच्चों के बैंक संबंधित जानकारी सही न होने से उनका पैसा वापस आ गया था। – डॉ. मुकुल सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखंड।