विभाग के अधिकारियों में मची खलबली
देहरादून। पिछले साल मार्च में राजाजी टाइगर रिजर्व की दूधियाबंद बीट में गुलदार और बाघ का मांस व हड्डियां मिली थीं। इस मामले में कई जांच अधिकारी भी बदले गए, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब इस प्रकरण में एसआईटी जांच के आदेश दिए गए हैं।
इस आदेश के बाद वन विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई है। बता दें कि पिछले साल गुलदार, टाइगर और बाघ की खाल-हड्डियां मिली थी। जिसकी जांच में कई अधिकारी, कर्मचारी और एनजीओ के नाम शामिल बताए जा रहे थे। पहले विभागीय जांच चल रही थी, लेकिन फिर हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच शुरू हुई थी। जिसके बाद जांच बंद हो गई थी। इस मामले में तीन बार जांच अधिकारियों को बदला भी जा चुका है। पिछले साल 2018 मार्च में जब यह मामला सामने आया तो जांच वार्डन कोमल सिंह को सौंपी गई। कोमल सिंह प्रकरण का खुलासा करने के करीब ही पहुंचने वाले ही थे कि उन्हें हटाकर मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया।
प्रकरण में रेंजर अनूप गुसाईं सहित दो अन्य वनकर्मी को आरोपी पाते हुए देहरादून संबद्ध कर दिया गया था। कुछ समय बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई से प्रदेश में गुलदार और बाघ की मौत की जांच कराने का आदेश दिया। जिसके बाद दूधियांबद बीट के प्रकरण की जांच करने सीबीआई की टीम देहरादून पहुंची थी।कई अधिकारियों और अन्यों के सीबीआई ने बयान दर्ज करवाए, लेकिन कुछ दिन बाद ही सीबीआई में रार उत्पन्न हो गई। इसी बीच जांच में सुप्रीम कोर्ट से स्टे भी मिल गया था। जिसके बाद पूरे प्रकरण की जांच ठंडे बस्ते में चली गई। जांच फिर से शुरू हुई तो जांच कर रहे मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को तत्काल प्रभाव से हटाकर राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर को अपर मुख्य सचिव डा. रणबीर सिंह ने जांच अधिकारी नियुक्त किया था। इसके एक दिन बाद ही वन मंत्री हरक सिंह रावत ने सनातन सोनकर को हटाकर मनोज चंद्रन को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया था। जिसके बाद अब इस मामले में एसआईटी जांच होगी।