हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार स्थित श्री गंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मलीन स्वामी राघवानंद सरस्वती महाराज की श्रद्धांजलि सभा कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सभी गंगा भक्तों ने गंगा स्नान कर ज्ञान और भक्ति के अवतरण दिवस के रूप में मनाइ।, जिसमें धर्मनगरी के अधिकांश अखाड़े एवं आश्रमों के संतों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके उत्तराधिकारी महंत कमलेशानंद सरस्वती के उज्जवल भविष्य की कामना की।
श्रद्धांजलि सभा को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए महानिर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि स्वामी राघवानंद सरस्वती ब्रह्म वाणी के प्रखर वक्ता थे। जिन्होंने गंगा एवं यमुना के तट से श्रीहरि के संदेश को समाज में समाहित किया। संत के शरीर का साथ सदैव नहीं मिलता। लेकिन संत की वाणी का प्रभाव शिष्य के व्यवहार से प्रदर्शित होता है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि संत केवल शरीर का परित्याग करते हैं। उनके ज्ञान की गंगा सदैव समाज को अभिसिंचित करती रहती है। महंत देवानंद सरस्वती ने कहा कि गुरु का ज्ञान कभी ओझल नहीं होता और योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने महंत कमलेशानंद सरस्वती के उज्जवल भविष्य की कामना की। स्वामी सत्यावृतानंद सरस्वती ने स्वामी राघवानंद सरस्वती को ज्ञान और भक्ति का भंडार बताते हुए कहा कि सदगुरु और संत भाग्यवान को ही मिलते हैं। महंत नरेशानंद महाराज ने गंगा भक्ति आश्रम की धर्म और समाज सेवाओं की सराहना करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
सभी संत महापुरुषों एवं आश्रम के अनुयायियों का आभार व्यक्त करते हुए श्री गंगाभक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष महंत कमलेशानंद सरस्वती ने कहा कि पूज्य गुरुदेव द्वारा प्रारंभ किए गए धर्म एवं समाज सेवा प्रकल्पों का संवर्धन किया जाएगा। हरिद्वार तथा वृंदावन के बाद अब अन्य तीर्थ स्थलों से भी धर्म एवं समाज सेवाओं का शुभारंभ धर्मप्रेमी भक्तों के सहयोग से किया जाएगा। ब्रह्मलीन स्वामी राघवानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि एवं स्वामी कमलेशानंद सरस्वती के उज्जवल भविष्य की कामना करने वालों में प्रमुख प्रमुख थे स्वामी हरि बल्लभ दास शास्त्री ,पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत दुर्गादास ,महंत सूरज दास, स्वामी योगेंद्रानंद ,महंत साधनानंद ब्रह्मचारी, स्वामी माधवानंद ,साध्वी सेवा भारती, स्वामी रामेश्वरानंद, महंत शिव शंकर गिरी ,स्वामी राम मुनि, महंत विनोद महाराज ,स्वामी अरुण दास ,महंत जगदीशा नंद सरस्वती तथा महंत रवींद्रानंद सरस्वती सहित बड़ी संख्या में भक्त, अनुयाई एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।