देहरादून। लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड की ब्यूरोक्रैसी का एक और कारनामा चर्चा में है। प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला माने जाने वाले छात्रवृत्ति घोटाले के मुख्य आरोपी गीताराम नौटियाल की जॉएंट डायरेक्टर पद पर पुनः बहाली कर दी गई है। गीताराम नौटियाल की छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्तता सामने आने के बाद अक्टूबर 2019 में एसआईटी ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। नवंबर में गीताराम नौटियाल की गिरफ्तारी हुई तो अगले कुछ दिनों में विभाग ने उन्हें जॉएंट डायरेक्टर पद से भी निलंबित कर दिया था। अब जमानत पर चल रहे नौटियाल को चुपके से उनकी नियुक्ति दे दी गई तो विभाग के मंत्री के ऐतराज के बाद मुख्यमंत्री ने फाइल तलब कर ली है। बता दें कि उत्तराखंड में साल 2010 से लेकर 2016 तक समाज कल्याण विभाग से एससीएसटी छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति (दशमोत्तर) में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया था। खुले हाथों से छात्रवृत्ति अपात्र लोगों को बांटी गई थी। इस फर्जीवाड़े में उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों के भी कई शिक्षण संस्थान शामिल थे। सात सौ करोड़ रुपये से के ज्यादा के इस घोटाले की जांच दो एसआईटी कर रही हैं। अभी तक समाज कल्याण विभाग के छह बडे अफसरों समेत छह दर्जन से अधिक लोगों को गिरप्तार कर चुकी है, जिनमें से एक गीताराम नौटियाल भी हैं। इस घोटाले में उत्तराखंड के अलावा अन्य प्रदेशों के भी कई शिक्षण संस्थानों पर केस दर्ज किया जा चुका है। कमाल की बात यह है कि प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले के मुख्य आरोपी के जमानत पर रिहा होने के बाद विभाग ने उन्हें फिर नियुक्ति दे दी। इसी 19 मई को समाज कल्याण विभाग के सचिव एल फैनई के हस्ताक्षर से जारी एक आदेश के तहत गीताराम नौटियाल को जॉएंट डायरेक्टर समाज कल्याण के पद पर पुनः बहाल कर दिया गया। इसकी भनक न तो मुख्यमंत्री को लगने दी गई न समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य को। कैबिनेट बैठक के दौरान समाज कल्याण मंत्री यशपाल ने गीताराम नौटियाल की गुपचुप बहाली पर कड़ा रोष जताया। मुख्यमंत्री ने मौके पर ही अधिकारियों केा तलब कर कड़ी फटकार लगाई।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने गीताराम नौटियाल से जुड़ी फाइल तलब कर ली है। माना जा रहा हैसमाज कल्याण विभाग के इस घोटाले को सामने लाने का श्रेय बीजेपी नेता और राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान और आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट चंद्रशेखर करगेती को जाता है। दोनों ही लोगों ने इस घोटाले केा लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर की थी।
गीताराम नौटियाल की बहाली पर दोनों लोगों को आपत्ति है। उनका कहना है कि सरकार यदि इस आदेश को रद्द नहीं करती तो वे हाईकोर्ट जाएंगे। चंद्रशेखर करगेती का कहना है कि गीताराम नौटियाल पर साल 2010-2011 में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए गड़बड़ी का आरोप है. इसके बावजूद नौटियाल दो प्रमोशन पाने में सफल रहे थे.
वह मांग करते रहे हैं कि नौटियाल की बहाली उसी मूल पद पर होनी चाहिए, जिस पद पर रहते हुए उन पर घोटाले के आरोप लगे हैं। गीताराम नौटियाल की जाएंट डायरेक्टर पद पर बहाली के आदेश को रिजेक्ट किया जा सकता है।