रंजना पठानिया को डीबीटी-वेलकम ट्रस्ट के फेलोशिप से सम्मानित किया गया | Jokhim Samachar Network

Friday, April 26, 2024

Select your Top Menu from wp menus

रंजना पठानिया को डीबीटी-वेलकम ट्रस्ट के फेलोशिप से सम्मानित किया गया

रुड़की । आईआईटी रुड़की के जैवविज्ञान और जैव इंजीनियरिंग विभाग की प्रो. रंजना पठानिया को डीबीटी-वेलकम ट्रस्ट इंडिया एलायंस (2020-2021) ने सीनियर फेलोशिप से सम्मानित किया है। डीबीटी-वेलकम ट्रस्ट को जैवप्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार और वेलकम ट्रस्ट, इंगलैंड से सहायता प्राप्त है। यह चैरिटेबल संगठन भारत की बुनियादी स्वास्थ्य सेवा की मजबूती के लिए जैविक चिकित्सा, क्लिनिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य शोध के गहन अध्ययन और इनोवेशन में सहायता करता है। इस प्रतिष्ठित फेलोशिप से प्राप्त वित्तीयन से प्रो. पठानिया को एंटीबायटिक रोधी रोगाणुओं के रोग पैदा करने की क्षमता को समझने के लिए आवश्यक अत्याधुनिक शोध में मदद मिलेगी।
प्रो. पठानिया के शोध का मुख्य उद्देश्य उस आणविक प्रक्रिया को समझना है जिससे बैक्टीरिया के रोगाणु एंटीबायटिक के खिलाफ प्रतिरोध बना लेते हैं। प्रतिरोध की प्रक्रिया समझने से बैक्टीरिया रोधी नए यौगिकों की खोज की असरदार रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। बैक्टीरिया में प्रतिरोध क्षमता का विकास होना एक बड़ी चुनौती है जो वर्षों से एंटीबायटिक दवा की खोज में देखी गई है जबकि गहन शोध और भारी वित्तीय निवेश जारी है। इससे नई एंटीबायटिक दवाएं बेअसर हो जाती हंै। इसलिए प्रो. पठानिया ने अपने शोध से जिद्दी बैक्टीरिया रोगाणु – एसीनेटोबैक्टरबौमनी में एंटीबायटिक को बेअसर करने और रोग पैदा करने की प्रक्रिया की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की है। यह प्रक्रिया स्पष्ट होने के बाद इस जानकारी का लाभ लेकर बेहतर एंटीबायटिक दवाओं की खोज सफल होगी जो लंबे समय तक असरदार रहेंगी।
प्रो. पठानिया ने अपने शोध के बारे में बताया, “ए. बौमनी अस्पताल में होने वाले संक्रमण के प्रमुख कारणों में एक है। इसकी वजह से पूरी दुनिया में निमोनिया, मेनिन्जाइटिस, बैक्टेरिमिया, मूत्रमार्ग और घाव आदि के संक्रमण होते हैं। ए. बौमनी पर वे एंटीबायटिक दवाएं भी बेअसर हैं जो अंतिम हथियार के रूप में दी जाती हैं। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ए. बौमनी को अत्यधिक गंभीर रोगजनक के रूप में वर्गीकृत किया है। ऐसे रोगजनकों पर असरदार नए एंटीबायटिक तैयार करना अनिवार्य है। नए उपचार विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि हम इसके रोगजनक बनने की सफलता की शारीरिक प्रक्रियाओं को समझें और यह भी समझें कि यह होस्ट की प्रतिक्रिया पर कैसे काबू पाता है। इस वित्तीयन की मदद से हम इन माध्यमों को समझेंगे और भविष्य में दवा की खोज करने में इनका लाभ लेंगे।’’

About The Author

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *