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Saturday, May 18, 2024

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मलिन बस्तियों में हाउस टैक्स को लेकर दून में राजनीति गर्म

कांग्रेस की रणनीति भाजपा को लोकसभा चुनाव में पड़ सकती है। भारी
देहरादून। प्रदेश की राजधानी देहरादून की मलिन बस्तियों में हाउस टैक्स लगाने की छोटी सरकार की तैयारी से राज्य की राजनीति में उबाल आने लगा है। इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि निगम हाउस टैक्स के नाम पर गरीबों से वसूली कर रही है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले राज्य भर में मलिन बस्तियों में रहने वाले 10 लाख मतदाताओं को देखते हुए कांग्रेस की यह रणनीति बीजेपी पर भारी पड़ सकती है।
इसी साल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश के सभी इलाकों में फैले अतिक्रमण और अवैध कब्जों को हटाने का आदेश जारी किया था। राज्य की 582 मलिन बस्तियां भी इस आदेश से प्रभावित होने वाली थीं। इसके बाद देहरादून समेत नगर निगमों ने इन इलाकों से हाउस टैक्स लेना बंद कर दिया था। स्थानीय निकाय चुनावों से पहले राज्य सरकार ने इन मलिन बस्तियों को बचाने के लिए तीन साल तक इन बस्तियों को न हटाने का प्रस्ताव पास कर दिया।
निकाय चुनाव के बाद बीजेपी के बहुमत वाले देहारदून नगर निगम ने इन मलिन बस्तियों से भी हाउस टैक्स वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बता दें कि अकेले देहरादून नगर निगम को इन मलिन बस्तियों से हाउस टैक्स के करीब दो करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। लेकिन कांग्रेस ने इस पहल पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
पूर्व विधायक राजकुमार का कहना है कि बीजेपी सरकार की इन मलिन बस्तियों को लेकर आखिर नीति क्या है। उनका कहना है कि जो अध्यादेश यह सरकार तीन साल के लिए लाई है उसे 10 या 50 साल के लिए भी लाया जा सकता था। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि तीन साल बाद इन मलिन बस्तियों का क्या होगा। और क्या सरकार सिर्फ वसूली करने के लिए यह अध्यादेश लाई थी।
इस मामले में देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि चूंकि लोकसभा चुनाव सामने हैं इसलिए कांग्रेस इस तरह के हथकंडे अपना रही है। वह कहते हैं कि राज्य भर में इन बस्तियों में 10 लाख से ज्यादा मतदाता हैं, जिन्हें बरगलाने के लिए कांग्रेस ऐसी बातें कर रही है। वह दावा करते हैं कि मलिन बस्ती निवासी खुद ही चाहते हैं कि उनसे हाउस टैक्स लिया जाए।
लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और इन बस्तियों में वोटरों की संख्या अच्छी-खासी है, जिसकी उपेक्षा करना आसान नहीं है और इसीलिए तीन राज्यों में सत्ता से बाहर हुई बीजेपी को 2019 की तैयारी में इस मुद्दे पर संभलकर कदम रखने होंगे।

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