देहरादून। स्टिंग करने की साजिश के मामले में निजी चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार को कोर्ट ने आठ नंबर तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। एसीजेएम थर्ड रिंकी साहनी की कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
उमेश जे कुमार ने एसीजेएम थर्ड रिंकी साहनी की कोर्ट में पेशी के बाद खुद अपना पक्ष रखा। उमेश की ओर से दिल्ली के अधिवक्ता करण गोगना को बुलाया गया था। वहीं, सरकार की ओर से सरकारी अधिवक्ता अल्पना थापा ने पैरवी की। जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त टीम ने रविवार को आरोपी के गाजियाबाद(उप्र) के इंदिरापुरम स्थित आवास में गिरफ्तार कर लिया था। यहां से पुलिस ने 39 लाख रुपये नगदी के साथ ही विदेशी मुद्रा और स्टिंग के उपकरण भी बरामद किए हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने बताया कि इस सिलसिले में उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के निलंबित कुल सचिव मृत्युंजय मिश्रा और चैनल के तीन कर्मचारियों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज है। साजिश में इनकी क्या भूमिका रही, इसका पता लगाया जा रहा है। इसी चैनल के एक कर्मचारी आयुष गौड़ की शिकायत पर यह मामला खुला। आरोप है कि उस पर स्टिंग के लिए दबाव बनाया जा रहा था। शिकायतकर्ता के मुताबिक आरोपितों ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव और कुछ अन्य नेताओं को भी फंसाने का षड़यंत्र रचा था। गिरफ्तार आरोपित ने वर्ष 2016 में उत्तराखंड में तत्कालीन सीएम हरीश रावत का स्टिंग कर राजनीतिक हलचल मचा दी थी। मुख्य आरोपी उमेश जे कुमार की गिरफ्तारी के लिए उत्तराखंड पुलिस पूरी तैयारी के साथ गाजियाबाद पहुंची। हाईप्रोफाइल मामला होने के चलते वह अपने साथ कोर्ट से सर्च और गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट लेकर गई थी। यहां से इंदिरापुरम थाने की पुलिस और उत्तराखंड पुलिस ने एटीएस एडवांटेज सोसायटी के टावर नंबर 19 के टॉप फ्लोर पर स्थित आरोपित के फ्लैट पर छापा मारा। टीम की वहां तैनात सीआरपीएफ जवानों से नोकझोंक भी हुई। घर की तलाशी के बाद पुलिस टीम ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।