राजकीय महाविद्यालय नागनाथ- पोखरी चमोली के वनस्पति विज्ञानं विभाग एवं नेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट कारपोरेशन नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया! उक्त कार्यक्रम में एन आर डी सी, नई दिल्ली के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक डॉ एच पुरुषोत्तम मुख्या अतिथि एवं डॉ संजीव मजूमदार मुख्या वक्ता के रूप में जुड़े थ। कार्यक्रम के संयोजक डॉ अभय श्रीवास्तव ने अतिथयों के परिचय तथा स्वागत क साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम क मुख्या अतिथि डॉ एच पुरुषोत्तम ने अपने व्याख्यान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार से जुड़े विभिन्न आयमो से परिचय करते हुए उसके महत्वा को बतय। उन्होंने बताया की वयक्ति की बौद्धिक सृजनात्मकता अथव किसी समुदाय द्वारा विकसित परंपरागत ज्ञान को डॉक्यूमेंट पेटेंट करने पर जोर दिया। उन्होंने उत्तराखंड राज्य का जिक्र करते हुए कहा की उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाने वाली जनजातियों के पास बहुत सा परम्परागत ज्ञान मौजूद है जिसे डॉक्यूमेंट एवं पेटेंट करने की आवश्यकता है। उन्होंने उदहारण देते हुए बताया की भारत का परम्परागत औषधीय ज्ञान बहुत प्राचीन है परन्तु उसका डॉक्यूमेंट न होने क कारण हमारे पास उसका पेटेंट नहीं है। जिससे विदेशी कंपनीयां हमारे ज्ञान का पेटेंट करवा रही हैं। उन्होंने शोधार्थियों एवं छात्रों को बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रति जागरूक होने पर जोर दिया। पी एच डी में गुणवत्ता सुधर हेतु प्रत्येक विद्यार्थी के शोध कार्य से सम्बब्धित पेटेंट फाइल करने को अनिवर्य करने की बात कही।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए एन आर डी सी के पेटेंट प्रबंधक डॉ संजीव मजूमदार ने एन आर डी सी की कार्यप्रणाली एवं मानव जीवन में योगदान पर विस्तार पर चर्चा किय। उन्होंने बताया की प्रत्येक वयक्ति को अपने बौद्धिक अधिकारों क प्रति जागरुक होना चाहिए जिससे उनके द्वारा किये गए बौद्धिक सृजनात्मकता को कोई अन्य व्यक्ति दुरूपयोग न कर सके। उन्होंने उत्तराखंड के ऐपण का जिक्र करते हुए बताया की उसका पेटेंट उत्तराखंड की जनजातीय समुदाय के नाम हो चूका ह। परंपरागत ज्ञान को संरक्षित करने क लिए भारत सरकार द्वारा ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी के सम्बन्ध में भी बताया। अपने वक्तव्य में डॉ मजूमदार ने पेटेंट प्रणाली, भौगोलिक सूचक , कॉपीराइट से सम्बंधित अधिनियमों की जानकारी दिया। वक्तब्य के पश्चात वर्कशॉप में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने आईपीआर और करियर से जुड़े सवाल भी पूछे।
प्राचार्य डॉ एस के शर्मा ने समस्त प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
वर्कशॉप के आयोजन में भूगोल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ महेंद्र सिंह चौहान, एवं डॉ कंचन सहगल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम में महाविद्यालय के डॉ उपेंद्र सिंह चौहान , डॉ वर्षा सिंह , डॉ सुमनलता, डॉ सोहनी, डॉ प्रियंका, डॉ भगवती पंत , रेनू सनवाल, डॉ अंजलि रावत आदि उपस्थित रहे।