हरिद्वार। माघ मास में पड़ने वाली मौनी सोमवती अमावस्या पर देश के विभिन्न राज्यों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने सोमवार को गंगा में स्नान किया। कोहरे और ठंड के बावजूद भारी संख्या में श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंचे। इसके बाद महिलाओं ने पीपल के वृक्षों पर सूत के धागे लपेटते हुए 108 परिक्रमा की। स्नान के लिए एक दिन पहले ही श्रद्धालुओं का हरिद्वार पहुंचना शुरू हो गया था।
हरकी पैड़ी सहित विभिन्न घाटों पर गंगा स्नान सूर्योदय से पूर्व शुरू हो गया और सायंकाल सूर्यास्त तक चलता रहा। तीर्थयात्रियों ने दिनभर मौन साधना भी की। तिल पर्वों का यह आखिरी दिन है। तिल पर्व मकर संक्रांति से प्रारंभ होते हैं और मौनी अमावस्या पर विराम लेते हैं।27 वर्षों के बाद मौनी अमावस्या पर सोमवती और अर्द्धकुंभ का स्नान एकसाथ पड़े हैं। तीन फरवरी 1992 को ऐसा संयोग हुआ था। मौनी अमावस्या पर सिद्धि और महोदय योग बन रहे हैं। इन योगों का प्रभाव इस लिए भी बढ़ गया हैं, चूंकि सोमवार को चंद्रमा का श्रवण नक्षत्र विद्यमान है।सोमवार चंद्रमा का दिन है। इस दिन भगवान भास्कर भी चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण में ही विराजमान रहेंगे। मौनी अमावस्या के दिन चूंकि सिद्धि योग है, अतरू स्नान का कोई विशेष मुहूर्त नहीं है।