देहरादून। उत्तराखंड महिला मंच, पछवादून की ओर से क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में महिलाओं ने जनगीतों की सुंदर प्रस्तुति देकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि को-ओप्रेटिव विभाग की उपनिबंधक रविंद्री मंद्रवाल ने कहा कि महिलाओं की शक्ति का आंकलन करना आसान नहीं है। सम्मेलन में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल-जंगल और स्थायी राजधानी गैरसैण जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। शुक्रवार को सुद्धोवाला स्थित एक फार्म में आयोजित सम्मेलन में महिलाओं को संबोधित करते हुए मंद्रवाल ने कहा कि महिला अपने स्वभाव से ही जिम्मेदारी को समझने और निभाने वाली होती है। इस मौके पर महिलाओं ने कहा कि आंदोलनकारियों की प्राणों की आहुति से प्रदेश का निर्माण हुआ है। इसकी रक्षा के लिए वह हर संभव कार्य करेंगी। सम्मेलन में महिलाओं ने 1994 के उत्तराखंड आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी को याद कर उन्हें नमन किया। साथ ही वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश की महिलाओं ने महिला मुद्दों व जनमुद्दों पर अपना बहुत योगदान दिया है। मंच की सदस्य उषा भट्ट ने बताया कि मंच पिछले 25 सालों से जनमुद्दों पर काम रहा है। साथ ही प्रदेश की संस्कृति के संरक्षण के लिए भी मंच की ओर से समय-समय पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि हम अपने हितों के लिए एकजुट होकर लड़ेंगे। वहीं मंच की सदस्य विजय नैथानी ने कहा कि गैरसैण को स्थाई राजधानी की मांग को लेकर वह अंतिम क्षण तक आंदोलन करेंगे। शकुंतला गुसांई ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाए जाए। मंच की वरिष्ठ कार्यकर्ता भुवनेशवरी कठैत, संयोजक पदमा गुप्ता व कृष्णा पंत ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर उषा भट्ट, हेमलता नेगी, द्वारिका बिष्ट, गीता गैरोला, शांता नेगी, सरला पुरोहित, सरस्वती कठैत समेत सैकड़ों महिलाएं मौजूद रही।