हरिद्वार । गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु सप्त दिवसीय अन्तर्जालीय कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। यह कार्यशाला 22 जून से 28 जून तक संचालित होगी। देवभाषा संस्कृत उत्तराखण्ड की द्वितीय राजभाषा है। उसे जन जन तक पहुँचाने का लक्ष्य इस कार्यशाला का है। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रूपकिशोर शास्त्री ने संस्कृत भाषागत ज्ञानविज्ञान की महत्ता को आरेखित किया।
मुख्यातिथि रूप में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डा0 वाचस्पति मिश्र ने सम्बोधित करते हुए इस कार्यशाला की उपादेयता को बताते हुए संस्कृत के प्रचार-प्रसार में गुरुकुल काँगडी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की भूमिका की प्रशंसा की। दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के आचार्य डा0 सत्यपाल सिंह ने सारस्वत अतिथि के रूप के संस्कृतभाषा को वैज्ञानिक महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए प्रथमा विभक्ति के प्रयोग पर अपना वैदुष्यपूर्ण व्याख्यान दिया। दक्षिण कोरिया से प्रो0 ओमनाथ विमली ने संस्कृत भाषा के विश्वभाषाजननीत्व को प्रतिपादित किया। विभागाध्यक्ष प्रो0 सोमदेव शतांशु ने सभी विद्वज्जनों एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्कृत व्याकरण की महत्ता को प्रतिपादित किया। प्राच्यविद्यासंकाय के अध्यक्ष प्रो0 ब्रह्मदेव ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विभाग के समस्त प्राध्यापक डा0 मौहर सिंह, प्रो0 संगीता विद्यालंकार, डा0 वीना विश्नोई तथा भारत के अनेक शिक्षण संस्थानों के 733 आचार्य एवं शोधच्छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डा0 वेदव्रत ने किया।