संसाधनों की कमी से जूझ रहा सूबे का अग्निशमन विभाग
देहरादून। उत्तराखण्ड में झुलसाने वाली गर्मी इन दिनों आग बड़ी आफत को दावत दे रही है, वहीं इस आफत से निपटने के लिए उत्तराखंड अग्निशमन विभाग अलर्ट पर है.। उत्तराखंड का अग्निशमन विभाग सीमित संसाधनों के साथ राज्य के सभी 13 जिलों में अपने 970 अधिकारी कर्मचारी और लाव लश्कर के साथ सतर्क पर है, लेकिन साल दर साल बढ़ती आग की घटनाओं ने सबको चिंतित कर रखा है। किन्तु संसाधनों के अभाव से अग्निशमन विभाग. जूझ रहा है। पिछले
19 सालों में 4159 लोगों की गई जानलगातार बढ़ती आग की घटनाओं ने वन विभाग से लेकर राज्य सरकार को हैरान कर रखा है। वहीं, इस पर नियंत्रण पाने के लिए अग्निशमन विभाग पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अग्निशमन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार राज्य बनने से लेकर अब तक के 19 सालों में 4 हजार से ज्यादा मानव क्षति हुई है, और 3 हजार से ज्यादा मवेशियों का नुकसान राज्य ने उठाया है। केवल पिछले पांच सालों के आंकडों पर अगर नजर डालें तो आंकड़े हैरान करने वाले हैं। सैकड़ों लोग असमय काल के ग्रास में समाए है। पिछले पांच साल के आंकड़े ही इस बात पर मुहर लगा रहें है कि राज्य में अग्मिशन विभाग के संज्ञान में आये मामलों में कितना नुकसान हुआ है। जो इस बात पर जोर देता है कि अग्निशमन विभाग को मजबूत होने की कितनी जरुरत है, लेकिन मौजूदा समय में अग्निशमन विभाग संसाधनों और सरंचानात्मक ढांचे की कमजोरी के चलते और कमजोर होता जा रहा है। हर साल अग्निशमन विभाग की चुनौती पिछले साल की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है। अब अगर एक नजर अग्निशम विभाग के विभागीय ढांचे और संसाधन पर नजर डालें तो इन हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है.।
अग्निशमन विभाग में कुल 970 अधिकारी कर्मचारी कार्यरत है। जबकी 300 पद आज भी खाली है, इनमें से जिलों में मुख्य पद पर सीधी भर्ती के लिए चीफ फायर ऑफिसर के पद पिछले कई सालों से रिक्त चल रहें है। पूरे प्रदेश में अग्निशमन विभाग के कुल 36 फायर स्टेशन मौजूद है। राज्य के 13 जिलों में वाटर और फॉम टेंडर यानी फायर ब्रिगेड की बड़ी गाड़ियों की संख्या 94 है, जिनमें कई जिलों में इनकी संख्या दो या तीन है.। फायर ब्रिगेड की छोटी गाड़ियों की संख्या पूरे राज्य में 53 हैं। घायलों को ले जाने के लिए अग्निशमन विभाग के पास एंबुलेस की सख्यां 23 है. छोटी गलियों में आग लगने पर नियंत्रण पाने के लिए उपयोग की जाने वाली फायर बाइक की संख्या पूरे राज्य में 37 है। बहुमंजिला इमारतों में ऊंचाईं पर लगी आग या फिर फंसे हुए लोगों को रेस्क्यू करने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली हाइड्रोलिक एरियल लेडर मशीन केवल एक है।
अग्निशमन विभाग के उपनिदेशक सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि फायर सर्विस में इसे बीटिंग फायर नाम से जाना जाता है और यह आग बुझाने की एक तकनीक है। उन्होंने कहा कि जहां फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर नहीं पहुंच पाती हैं, वहां पर चमड़े के पट्टों से पीट आग बुझाने का प्रयास किया जाता है। अग्निश्मन अधिकारी ने माना कि निश्चित तौर से रोड साइड पर फायर उपकरणों का प्रयोग होना चाहिए और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी।बहरहाल, आलम ये है कि हर साल सैकड़ों लोग आग की जद में आते हैं और आग की घटनाओं में सैकड़ों मवेशियों की मौत हो जाती है। बात यहीं खत्म नही होती है, आग पर नियंत्रण पाते हुए और लोगों को रेस्क्यू करते हुए अग्निशमन कर्मियों की जान पर भी खतरा बना रहता है। ऐसे में सरकार अग्निशमन विभाग को उतना तवज्जो नहीं देती जितना इसे देने की जरुरत है।