देहरादून। सूबे मे निकाय चुनाव 6 महीने देरी होने के चलते निकायों में विकास बमुश्किल शुरू ही हुआ था कि अब ग्राम पंचायतों का विकास रुक सा गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह है समय पर चुनाव ना होना. राज्य में 14 जुलाई से पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, लेकिन राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव की अभी तक कोई तिथि तय नहीं की है.
राज्य सकरार ने पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं। नियमों के अनुसार इस 14 जुलाई तक चुनाव हो जाने चाहिए थे और पंचायतों को उनकी सरकार मिल जाने चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि अभी पंचायतीराज में ऐक्ट संशोधन नहीं होने के चलते चुनाव अटक गए हैं, जिस कारण अब पंचायतों में छह महीने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है। यही हाल राज्य में निकाय चुनाव का भी रहा जहां चुनाव समय पर न होने के चलते निकायों में 6 महीने के लिए प्रशासकों नियुक्त किया गया था। सभी प्रशासकों ने पंचायतों को टेकओवर कर लिया है और साथ में सभी ग्राम प्रधानों से दस्तावेज जमा करने लगे हैं। वहीं, अगस्त माह में राज्य के सभी क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का भी कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है, लेकिन चुनाव कब होंगे अभी तय नहीं। पंचायत चुनाव में हो रही लेट-लतीफी के चलते गांव का विकास अब थम सा गया है और इसका असर अब सीधे ग्राम पंचायतों को केंद्र सरकार से मिलने वाले बजट पर देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को दिया जाने वाला बजट जिससे गांव में सड़क, नाली, स्ट्रीट लाइट जैसे कई कामों पर खर्च होता है वो अब थम सा गया है।
आपको बता दें कि राज्य में ग्राम पंचायतों को पिछली किस्त जून माह में दी गयी थी और अगली किस्त अक्तूबर में दी जानी थी, लेकिन अभी चुनाव ही नहीं हुए तो पैसा भी रुक जाएगा। जबकि इसी साल जून में राज्य के पंचायतों को करीब 255 करोड़ रूपये का बजट आवंटित हुआ था। राज्य में पंचायत चुनाव हरिद्वार जिले को छोड़कर 12 जिलों में होने हैं, जिसके लिए प्रशासन ने मतदाताओं को लिस्ट तैयार कर दी है। हालांकि माना जा रहा है कि अगस्त के आखिर में राज्य सरकार चुनाव की घोषणा कर सकती है। वैसे अब सिर्फ आरक्षण पद ही तय होने हैं।