केन्द्र के आदेश रह गए धरे के धरे
देहरादून। केंद्र के फरमान को प्रदेश सरकार गंभीरता से नहीं लेती है। परिवहन विभाग ने यह बात साबित कर दिखाई है. 1 जनवरी से लागू होने वाला शासनादेश 4 दिन बाद भी ठंडे बस्ते में है और इसकी वजह खुद अधिकारी हैं। संबंधित विभाग ने ना खुद तैयारी की और ना ही लोगों को इसकी जानकारी दी।
दरअसल 31 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों के वाहनों में पंजीकरण के लिए जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन अनिवार्य किया था। इसका मकसद लोगों को यात्री वाहन में सफर करते समय सुविधा देना था। इस व्यवस्था के तहत किसी भी आपातकाल परिस्थिति में बटन को दबाने पर अलार्म बजेगा और नजदीकी पुलिस स्टेशन से लेकर एंबुलेंस सेवा और परिजनों को भी जानकारी मिल सकती। लेकिन 1 जनवरी से लागू किए जाने वाले इस शासनादेश को परिवहन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया. इस वजह से पैनिक बटन के लिए न तो कंट्रोल रूम बनाया गया न ही यह कैसे काम करेगा इस पर कोई जानकारी ली गई।
इस बारे में अधिकारी कहते हैं कि नई गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम तो लग रहे हैं, लेकिन पैनिक बटन कहां से खरीदना है या कैसे लगेगा इसकी जानकारी नहीं है। बता दें कि 1 जनवरी से 4 जनवरी के दरम्यान आई किसी भी नई गाड़ी में सुविधा नहीं होने के कारण गाड़ियों के पंजीकरण नहीं हुए हैं। परिवहन सचिव शैलेष बगोली के छुट्टी पर होने के कारण जब परिवहन मंत्री यशपाल आर्या से पूछा गया तब वही रटा रटाया जवाब आया कि अधिकारियों से इसकी वजह पूछकर एक हफ्ते में व्यवस्था ठीक की जाएगी।
सवाल यहां पर यह उठता है कि 31 अक्टूबर के बाद से ही व्यवस्था लागू करने की दिशा में काम क्यों नहीं किया गया। नए साल की पहली सुबह से ही व्यवस्था लागू होनी थी। ऐसे में केंद्र के आदेशों को लेकर बरती जा रही संजीदगी पर भी सवाल उठते हैं।