प्राचीन पौराणिक छड़ी यात्रा अंतिम चरण में पहुंची दूनागिरि | Jokhim Samachar Network

Sunday, May 19, 2024

Select your Top Menu from wp menus

प्राचीन पौराणिक छड़ी यात्रा अंतिम चरण में पहुंची दूनागिरि

हरिद्वार । श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की विगत 12 सितम्बर को हरिद्वार से प्रारम्भ हुयी। प्राचीन पौराणिक पवित्र छड़ी यात्रा अब अपने अन्तिम चरण में पहुंच गयी है। शनिवार को पवित्र छड़ी त्रेतायुगीन पौराणिक शक्तिपीठ दूनागिरि मन्दिर पहुंची। जहां मन्दिर के पुरोहितों ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना कर माता वैष्णवी के दर्शन कराए। उत्तराखण्ड की शक्तिपीठों में से एक दूना गिरि माता वैष्णो देवी जम्मूकश्मीर के बाद एक मात्र दूसरी वैष्णो शक्तिपीठ है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार त्रेतायुग में जब लक्ष्मण को मेघनाथ की शक्तिबाण लगी थी तब सुशेष वैद्य के कहने पर हनुमान उपचार हेतु संजीवनी बूटी का पर्वत लेकर आ रहे थे तब इस स्थान पर पर्वत का एक टुकड़ा टूट कर गिर गया था।
इस स्थान में दूनागिरि का मन्दिर बन गया। बाद मे सन् 1318 ईस्वी में कत्यूरी शासक सुधारदेव ने भव्य मन्दिर का निर्माण कर इसमेें माता दुर्गा की मूर्ति की सिापना की। वैसे यहां पर माता के पिण्डी स्वरूप की पूजा होती है। देवी पुराण के अनुसार पांडवों ने युद्व में विजय हेतु अज्ञातवास के दौरान दूना गिरि माता की पूजा की थी। इतिहासकार ई.टी.एटिकसन के अनुसार  मन्दिर होने का प्रमाण सन् 1181 के शिलालेख में भी मिलता है। दूनागिरि के दर्शनों के बाद श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज के नेतृत्व में पवित्र छड़ी रानीखेत स्थित प्रसिद्व कालीमन्दिर पहुची। जहां महंत पशुपति भारती महाराज ने पवित्र छड़ी तथा साधुओं के जत्थे का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। पवित्र छड़ी ने माता काली की पूजा अर्चना कर दर्शन किए। यहां से रात्रि विश्राम के लिए पवित्र छड़ी पौराणिक तीर्थ बिनसर महादेव पहुंची। जहां पूजा अर्चना के बाद पवित्र छड़ी अपने अन्तिम पड़ाव बद्रीकेदार, भूमियाथान तथा गर्जिया देवी के दर्शनों के लिए रवाना होगी।

About The Author

Related posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *