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Monday, May 20, 2024

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रिखणीखाल ब्लॉक में तैडिया एवं पांड गांव को उत्तराखंड के सबसे पिछड़े गांव घोषित करने की मांग

लैंसडाउन/पौड़ी । उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी के लैंसडाउन विधानसभा संयोजक हरीश ध्यानी ने  अपने क्षेत्र भ्रमण के दौरान आज रिखणीखाल ब्लॉक के तैडिया एवं पांड गांव पहुंचे। उन्होंने कहा ’ पौड़ी जिले के लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली रिखणीखाल ब्लॉक में तैडिया एवं पांड गांव जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के अंदर आता है। इन दोनों गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। तैडिया एवं पांड गांव में सरकारी सुविधा की बदहाली आप इसी से समझ सकते हैं कि इन क्षेत्रों में बिजली नहीं है, पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है, स्वास्थ्य  सुविधा का कोई साधन नहीं है, शिक्षा के तरफ आज तक इन क्षेत्रों में किसी का ध्यान ही नहीं गया है। सरकार के बेरुखी का आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि इन दोनों गांव के लोग कांडानाला तक पैदल 5 किलोमीटर  चल कर वाहन पकड़ते हैं और अन्य स्थानों पर जाते हैं। इन 5 किलोमीटर के घनघोर जंगल वाले रास्ते में पहाड़ों के पगडंडियों से होते हुए, जंगली जानवरों के झुंड के पास से जाना पड़ता है। हर वक्त इंसानों को जंगली जानवरों से खतरा रहता है एवं अगर किसी को रात में कुछ जरूरी काम आ गया तो वह कल सुबह तक टालने को विवश रहता है। इन दोनों गांव के लोग बिल्कुल जंगली जानवर के समान अपने गांव में रहते हैं फर्क सिर्फ इतना है कि जानवर जंगल में रहते हैं और इंसान अपने टूटे-फूटे मकान में रहते हैं।
हरीश ध्यानी ने कहां की उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग हुए अब 21 साल हो चुका है परंतु जो प्रगति की गति है वह बिल्कुल जीरो  है। उन्होंने तत्कालीन सरकार से मांग की है कि सरकार हमें यह बताएं कि इन दोनों गांव के नाम पर विकास के लिए अब तक कितना बजट दिया गया है, अगर कोई बजट दिया गया है तो उसे कहां खर्च किया गया। आपने शिक्षा के ऊपर खर्च किया, स्वास्थ्य के ऊपर खर्च किया, पेयजल व्यवस्था के ऊपर खर्च किया या फिर परिवहन सड़क व्यवस्था पर खर्च किया, यह बताइए। आप के विकास के बजट को जंगली जानवर खा गए या फिर से कर्मचारी खा गए। आप जरा इस बात पर भी गौर कीजिए अगर ऐसा नहीं होता तो अभी यह गांव भी मुख्यधारा में जुड़ चुका होता। आप यह सोच सकते हैं कि यहां के लोग कोटद्वार जाकर अपना इलाज कराते हैं। यहां के लोग अपने लिए पीने का पानी नदियों एवं पहाड़ी नालों से लाते हैं। सड़कों का हाल आप स्वय देख सकते हैं कि अगर इन सड़कों पर कोई बूढ़े व्यक्ति को चलना हो, कोई बच्चे को चलना हो या कोई गर्भवती महिला को चलना हो तो कैसे वह चल पाएंगे।

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