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Sunday, May 19, 2024

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विधाायक जनसेवक हैं या सरकारी सेवक!ः मोर्चा

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अधयक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाधयक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि देश का दुर्भाग्य देखिए कि जहां कर्मचारियों हेतु 10 वर्ष में वेतन आयोग की सिफ़ारिशें लागू होती हैं वहीं गरीब द्धकरोड़पतिऋ विधाायकों के वेतन-भत्ते हर तीन-चार वर्ष में अप्रत्याशित तौर पर बढ़ जाते हैं। यहां आयोजित प=कार वार्ता के दौरान नेगी ने कहा कि द्धसदस्यों की उपलब्धिायां एवं पेंशन अधिा-ऋ के सेक्शन 3,4 व 5 द्वारा वर्ष 2005 में इन गरीब विधाायकों का वेतन 2,000 से बढ़कर 3,000 तथा निर्वाचन क्षे= भत्ता 5,000 से बढ़कर 7500, वर्ष 2008 में वेतन 3000 तथा भत्ता 15,000, वर्ष 2010 में वेतन 5,000 तथा भत्ता 30,000, वर्ष 2014 में वेतन 10,000 तथा भत्ता 60,000 तथा इसी प्रकार वर्ष 2018 में वेतन 30,000 तथा भत्ता 1,50,000 रुपए प्रतिमाह कर दिया गया। रेलवे कूपन के रूप में ईंधान भत्ता वर्तमान में लगभग 27000 प्रतिमाह, जनसेवा-सचिव-चालक व अन्य भत्तों में भी अप्रत्याशित वृि) की गई। इस प्रकार एक गरीब विधाायक लगभग 3-25 लाख रुपए प्रतिमाह का हकदार हो गया। इसी प्रकार विधाायक निधिा के आंवटन में भी बहुत बड़ा खेल है। नेगी ने कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य एवं भद्दा मजाक क्या हो सकता है कि सीमा पर देश की सेवा करने वाले जवानों के लिए पेंशन सुविधाा नहीं द्धएनपीएस, जोकि इनका ही निवेश हैऋ लेकिन इनको पेंशन व अन्य सुविधााएं भी मान्य हैं। काश! मा- न्यायपालिका इस अंधोरगर्दी के खिलाफ़ स्वत संज्ञान लेती।

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