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Thursday, May 02, 2024

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वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाये त्रिवेंद्र सिंह रावत

देहरादून ।  त्रिवेन्द्र रावत ने सोमवार को सचिवालय में उरेडा द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए। उरेडा द्वारा जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उनका विकासखण्ड मुख्यालय पर होनडग के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी किया गया। पिरूल से बिजली उत्पादन के लिए स्वयं सहायता समूह और एनजीओ को कैसे जोड़ा जा सकता है, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पर्वतीय जनपदों में दो-दो खंड ऐसे चिन्हित किए जाते हैं, जहां पायल अधिक है। इन टुकड़ों में मॉडल ब्लॉक के रूप में कार्य शुरू किए जाते हैं। पिरूल से बिजली उत्पादन में रोजगार में बहुत संभावनाएं हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों को और अधिक सक्रिय किया गया। इसके लिए जनपद स्तर पर डीएफ़ओ को नोडल अधिकारी बनाया गया। पिरूल नीति से बिजली उत्पादन के साथ ही वनाग्नि की समस्या का समाधान भी होगा।
मुख्यमं = म श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा जो बिजली के उपकरण बनाये जा रहे हैं, उनकी मार्के मार् टग की व्यवस्था भी की जाए। विशेष त्योहारों और त्योहारों पर सरकारी उत्पादों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेनमं = स्वर सौर स्वरोजगार योजना की कार्ययोजना शीघ्र तैयार कर ली जाय। पंचायतीराज विभाग के माध्यम से ग्राम प्रधानों और अन्य जन अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। इस योजना के लिए पूरा रोड मैप तैयार किया गया। ग्रीन एनज एन के कॉन्सेप्ट पर अधिक कार्य किया गया।
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि प्रदेश में वैकल्पिक ऊर्जा के क्षे = में कई कार्य किए जा रहे हैं। सोलर में 272िगन के कार्य स्थापित हो चुके हैं, वर्ष 2019 -20 में 283 विकासकर्ताओं को 203 बंदरगाह सौर परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। जिसका कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जाएगा। लघु जल विद्युत के 202िगन के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 1099 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं। बायोमास और को-जनरेशन के क्षे = में 131 वें के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 39 वें के कार्य प्रगति पर हैं। नगरीय कूड़े करकट से विद्युत उत्पादन के लिए वेस्ट टू इनज गठन नीति का गठन किया गया है। इसके लिए शहरी विकास विभाग द्वारा निविदा की प्रक्रिया गतिमान है। 203 बंदरगाह की सौर ऊर्जा परियोजनाएं प्रदेश के स्थायी निवासियों को आवंटित की गई थी, को विभाजित -19 की वजह से इन परियोजनाओं के स्थापित होने में और समय लगेगा।
निदेशक उरेडा कैप्टन आलोक शेखर तिवा’री ने कहा कि पिरूल नीति -2018 के अंतर्गत ऊर्जा उत्पादन के लिए 1060 कि-वा- क्षमता की परियोजनाएं 36 विकासकर्ताओं को आवंटित की गई हैं। प्रदेश में वैकल्पिक योजना के कार्यान्वयन के लिए ग्रीन सैस एक्ट पारित किया गया है। प्रदेश के सभी जनपदों में केन्द्र पोषित योजना के अन्तर्गत 90 प्रतिशत अनुदान पर 19,655 सोलर स्ट्रीट लाईट्स की स्थापना का कार्य चल रहा है। यह कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जाएगा। प्रदेश के सरकारी आवासीय विद्यालयों में निवासरत छात्रोंें को गर्म पानी की सुविधा के लिए कुल 50500 ली-प्रतिदिन क्षमता के सोलर वाटर ही वाटर टग संयं = स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जनपदों में एक-एक गाँव को ग्राम ग्राम ’ऊर्जा संरक्षित ग्राम ‘के रूप में विकसित किए जाने का कार्य किया जा रहा है। यह कार्य दिसंबर 2020 तक पूर्ण हो जाएगा। पीस ग्राम योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश की लगभग सभी 08 हजार ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाईट लगाने की योजना तैयार की जा रही है। प्रदेश के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में विद्युत की खपत में कमी करने के लिए सैकी के माध्यम से चयनित फ़ार्मों द्वारा 1-899 पैसे प्रति यूनिट की दर पर सोलर पावर प्लान्ट लगाये जाने के लिए सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है।
बैठक में प्रमुख सचिव आनन्द व) र्न, एमडी यूपीसीएल डॉ- नीरज खैरवाल, अपर सचिव उदयराज, विनोद कुमार सुमन और उरेडा के अधिकारी उपस्थित थे।

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