अनुराग वर्मा
हल्द्वानी | नवरात्रो से त्योहारी सीजन शुरू होजाता है जिस के चलते बाजारों में खरीदारी करने के लिए लोगो की भीड़ भाड़ होना शुरू हो जाती है|
पहाड़ी रीति रिवाज में करवाचौथ का प्रचल नहीं है लेकिन समय के साथ साथ इस त्यौहार का यहाँ के लोगो में भी मान्यता होने लगी है| यह ब्रत पति की लम्बी आयु के लिए रखा जाता है| दिन भर महिलाये निलजल उपवास रखती है और शाम को करवाचौथ कथा पूजन के बाद चाँद देख कर उसकी पूजा कर पति के हाथो पानी पीकर उपवास तोड़ती है| कल 1 नवम्बर को यह त्यौहार है जिस के चलते आज पुरे दिन हल्द्वानी के मुख्य बाज़ारो में कपडे,गहने,मिठाई व करवाचौथ की पूजा के लिए सामग्री के लिए महिलाओं के साथ साथ पुरषो को भी ख़रीदारी करते देख जा सकता है|
बाज़ारो का आलम यह है की यहाँ पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है,क्योकि यह त्यौहार सुहागने बनाती है इस लिए हाथो में मेहंदी लगाने की एक परम्परा है| आज हल्द्वानी शहर के बाज़ारो और गलियों में तक मेहंदी लगाने वाले लोगो की खूब चांदी रहती है,यहाँ तक की यह महिलाये मेहंदी लगवाने के लिए देर रात तक अपने नंबर आने का इंतजार करती रहती है| ऐसा नहीं है की यह त्यौहार सिर्फ पैसे वालो का होता गरीब लोग भी बनाते है बस फर्क सिर्फ इतना होता है की वो मेहंदी के लिए 500 रुपये खर्च करने के वजाये घर पर ही मेहंदी लगा लेतीहै महंगे वस्त्र नहीं खरीद सकती तो हल्के वस्त्रो में काम चला लेती है| कहने का तात्यपर्य यह की इस त्यौहार को लेकर सभी वर्गों की महिलाओं में श्रद्धा भक्तिभाव एक जैसा ही होता है|