देहरादून। कोरोना वायरस को लेकर देशभर में मचे हाहाकार के बीच उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के 12 वीं तक के सभी सरकारी और प्राईवेट स्कूलों को 31 मार्च तक बंद रखने का निर्णय लिया है। इस दौरान केवल बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी। इसके अलावा सभी स्कूल बंद रहेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया गया है। इसके बाद दिल्ली और हरियाणा सरकार ने भी सभी स्कूलों, कॉलेजों, सिनेमा हॉल को बंद करने का निर्णय लिया है। इसके चलते गुरुवार शाम को उत्तराखंड के शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने भी प्रदेश में सभी स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं, सरकार शुक्रवार को वायरस से सावधानियों को लेकर कई बड़े फैसले भी कर सकती है।
श्रीनगर गढ़वाल में पीजीआई चंडीगढ़ से लौटकर आई एक मरीज को राजकीय मेडिकल कॉलेज के कोरोना आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराए जाने से हड़कंप मच गया। मरीज के परिजनों का कहना है कि वह तो युवती को डायलिसिस के लिए अस्पताल में लाए थे, लेकिन उसे डॉक्टरों ने कोरोना वार्ड में भर्ती करा दिया। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को एहतियातन वार्ड में शिफ्ट किया गया था। मरीज में कोरोना (सीओवीआईडी19) के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं। उसको डायलिसिस के लिए एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया है। बुधवार रात टिहरी जिले के सौंप गांव (घनसाली) से एक युवती को उसके परिजन मेडिकल कॉलेज से संबद्ध बेस अस्पताल में लाए थे। युवती पीजीआई चंडीगढ़ में डायलिसिस कराके यहां आई थी। उसे खांसी हो रही थी। इमरजेंसी में मेडिसिन विभाग के जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर को जब पता चला कि वह पीजीआई चंडीगढ़ से आई है और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो उन्होंने मरीज को कोरोना वार्ड में भेज दिया। कोरोना वार्ड में एक मरीज के भर्ती होने के बाद यहां हड़कंप मच गया। अस्पताल का स्टाफ मास्क लगाकर के ड्यूटी करने लगा।
युवती के पिता ने बताया कि चंडीगढ़ में चिकित्सकों ने उन्हें बताया था कि उनकी पुत्री को हफ्ते में डायलिसिस की जरूरत पड़ेगी। इसलिए वह नजदीकी अस्पताल में डायलिसिस करवाएं, जिस पर पीजीआई चंडीगढ़ ने उसे मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में डायलिसिस के लिए भेज दिया, लेकिन जब वह यहां आए, तो मरीज को कोरोना वार्ड में भर्ती कर दिया गया। इधर, नोडल अधिकारी मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. केएस बुटोला ने बताया कि मरीज को बुखार नहीं है। उसको जुकाम है। पीजीआई चंडीगढ़ से आने की वजह से उसको आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया, क्योंकि पीजीआई में कोरोना के केस आए थे। हालांकि इस मरीज में कोरोना का कोई लक्षण नहीं पाया गया। वहीं मरीज का चेकअप करने वाले सहायक प्रोफेसर डा. अभिषेक रस्तोगी ने बताया कि युवती क्रोनिक किडनी डिजीज की मरीज है। उसके हाथ में डायलिसिस के लिए फिस्टुला लगाया गया है, जो अभी सेट नहीं हुआ है। उसकी दूसरी विधि से डायलिसिस करनी पड़ेगी, जो सुविधा मेडिकल कॉलेज में नहीं है, इसलिए मरीज को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है।