देहरादून। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दिन 1928 में सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने विकिरण प्रभाव की खोज की थी, जिसे बाद में रमन प्रभाव के रूप में जाना गया। इसी तरह इस वर्ष भी सीएसआईआर-आईआईपी ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया, इस वर्ष विज्ञान दिवस समारोह का विषय महिलाओं में विज्ञान है। सीएसआईआर-आईआईपी के निदेशक डॉ अंजन रे ने स्वागत भाषण दिया और मुख्य अतिथि का परिचय कराया। डॉ डी सी पांडे, अध्यक्ष समारोह समिति ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (28 फरवरी) के महत्व को दर्शकों को बताया। संस्थान के एस ए फारूकी वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बायो जेट ईंधन प्रौद्योगिकी पर एक अभिनव और रोमांचक वैज्ञानिक व्याख्यान दिया।
समारोह के मुख्य अतिथि, प्रोफेसर चंद्रजीत बालोमजुमदार, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी रुड़की ने विज्ञान-वास्तविकता की कविता पर एक दिलचस्प राष्ट्रीय विज्ञान दिवस व्याख्यान दिया। उन्होंने लगभग सभी क्षेत्रों में विज्ञान के अनुप्रयोगों की जानकारी दी बिजली, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, पाकशास्त्र आदि। उन्होंने सर सी वी रमन, जे सी बोस, सत्येंद्र नाथ बोस, मेघनाद साहा, प्रफुल्ल चंद्र रे और कई अन्य ऐसे दिग्गजों द्वारा विज्ञान में किए गए कार्यों को याद किया। उन्होंने यह कहकर अपना व्याख्यान समाप्त किया कि विज्ञान की भूमिका हमारे दैनिक जीवन में हृदय की धड़कन की तरह है और विज्ञान हमारी सभ्यता में जीवन को लाता है। यद्यपि कुछ लालची लोग अपने तरीके से विज्ञान का दुरुपयोग करते हैं, लेकिन हमें पूरी सभ्यता के भले के लिये विज्ञान के महत्व व महानता का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान आम लोगों तक पहुंचना चाहिए। संस्थान के प्रशासनिक नियंत्रक जसवंत राय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।