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Friday, May 03, 2024

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हिमालयी राज्यों के लिए अलग मंत्रालय की मांग ने जोर पकड़ा

’देहरादून। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड सहितं अन्य हिमालयी राज्यों के लिए अलग मंत्रालय की मांग से उत्तराखंड की सियासत गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी के साथ अब कांग्रेस ने भी उत्तराखंड के विकास के लिए अलग से मंत्रालय की मांग की है। नैनीताल से बीजेपी सांसद अजय भट्ट के बाद अब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने भी मांग की है कि नार्थ ईस्ट की ही तरह उत्तराखण्ड एवं अन्य हिमालयन राज्यों के लिए अलग अथॉरिटी या मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों की समस्याएं ही अलग हैं, चाहे पलायन हो या खेती किसानी और इसके लिए अलग से ध्यान देने की जरूरत है। सांसद अजय भट्ट भी पहले ये कह चुके हैं कि हिमालयीन राज्य खासकर उत्तराखंड के तेजी से विकास के लिए एक अलग मंत्रालय की जरूरत है। बीजेपी सांसद अजय भट्ट के बाद अब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने उत्तराखण्ड राज्य के विकास के लिए नए मंत्रालय की मांग कर सियासत को गरमा दिया है। दरअसल बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों दल के नेता चाहते हैं कि मोदी सरकार जिस तरह नए मंत्रालयों का गठन कर रही है, एक मंत्रालय इस पर्वतीय राज्य के लिए भी बने। कभी उत्तरांचल क्षेत्र के विकास के लिए अलग राज्य का निर्माण हुआ था, जिसे आज उत्तराखंड राज्य के रूप में जाना जाता है। आज एक बार फिर विकास के नाम पर उत्तराखण्ड के नेताओं ने मोदी सरकार से अलग मंत्रालय की मांग उठाई है। सत्ताधारी दल बीजेपी के सांसद हों या विपक्ष में बैठे कांग्रेस नेता. सब चाहते हैं कि उत्तराखण्ड के साथ हिमालयन राज्यों के लिए सरकार अलग मंत्रालय का गठन करे। हालांकि नार्थ ईस्ट के लिए सरकार ने पहले से ही अथारिटी का गठन किया हुआ है, लेकिन सेंट्रल हिमालयीन राज्यों के लिए सरकार ने ऐसा कुछ नही किया है। ऐसे में सब चाहते हैं कि सरकार महत्वपूर्ण कदम उठाए। नैनीताल से पहली बार सांसद बने अजय भट्ट ने कहा कि हमने सरकार मांग की है कि हिमालयी राज्यों के लिए अलग से एक मंत्रालय बने, तभी तेजी से डेवलपमेन्ट होगा खासकर उत्तराखण्ड का.कुल मिलाकर देखा जाय तो मोदी सरकार पार्ट वन में स्किल डेवलमेंट मंत्रालय और पार्ट टू में जल शक्ति मंत्रालय के गठन के बाद, पहाड़ी राज्यों के नेताओं को भी विकास के नाम पर नए मंत्रालय की आशा जगी है। और विकास के नए सपने देखने को मौका मिला है। इस लिए सभी दल एक स्वर में मंत्रालय की मांग कर रहे हैं, लेकिन ये मांग कब पूरी होगी यह बड़ा सवाल है।

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